वरिष्ठ पत्रकार और बिहार के लाल रवीश कुमार को साल 2019 का प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे सम्मान दिये जाने की घोषणा तो लगभग एक महीने पहले ही हो गई थी लेकिन मनीला में शुक्रवार को उन्हें यह सम्मान दिया गया| इस मौके पर उन्होंने लोगों को संबोधित किया|
उन्होंने भाषण के शुरुवात में रेमन मैग्सेसे वालों को हिंदी में भाषण देने की की इज़ाज़त देने के लिए धन्यवाद दिया| उन्होंने कहा कि वह हिंदी में बोल रहें हैं ताकि उनकी माँ और भाभी उनके भाषण को समझ सकें|
रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार ग्रहण करने के लिए मनीला पहुंचे NDTV के रवीश कुमार ने अपनी स्पीच में कहा, “मैं NDTV के करोड़ों दर्शकों का शुक्रिया अदा करता हूं… मैं हिन्दी का पत्रकार हूं, मगर मराठी, गुजराती से लेकर मलयालम और बांग्लाभाषी दर्शकों ने भी मुझे ख़ूब प्यार दिया है… मैं सबका हूं… मुझे भारत के नागरिकों ने बनाया है…”
रवीश कुमार ने अपनी स्पीच में कहा, “नागरिकता के लिए ज़रूरी है कि सूचनाओं की स्वतंत्रता और प्रामाणिकता हो. आज स्टेट का मीडिया और उसके बिज़नेस पर पूरा कंट्रोल हो चुका है. मीडिया पर कंट्रोल का मतलब है, आपकी नागरिकता का दायरा छोटा हो जाना. मीडिया अब सर्वेलान्स स्टेट का पार्ट है. वह अब फोर्थ एस्टेट नहीं है, बल्कि फर्स्ट एस्टेट है. प्राइवेट मीडिया और गर्वनमेंट मीडिया का अंतर मिट गया है. इसका काम ओपिनियन को डायवर्सिफाई नहीं करना है, बल्कि कंट्रोल करना है. ऐसा भारत सहित दुनिया के कई देशों में हो रहा है.
उन्होंने कहा, “यह वही मीडिया है, जिसने अपने खर्चे में कटौती के लिए ‘सिटिज़न जर्नलिज़्म’ को गढ़ना शुरू किया था. इसके ज़रिये मीडिया ने अपने रिस्क को आउटसोर्स कर दिया. मेनस्ट्रीम मीडिया के भीतर सिटिज़न जर्नलिज़्म और मेनस्ट्रीम मीडिया के बाहर के सिटिज़न जर्नलिज़्म दोनों अलग चीज़ें हैं, लेकिन जब सोशल मीडिया के शुरुआती दौर में लोग सवाल करने लगे, तो यही मीडिया सोशल मीडिया के खिलाफ हो गया. न्यूज़रूम के भीतर ब्लॉग और वेबसाइट बंद किए जाने लगे. आज भी कई सारे न्यूज़रूम में पत्रकारों को पर्सनल ओपिनियन लिखने की अनुमति नहीं है.”
जब ‘कश्मीर टाइम्स’ की अनुराधा भसीन भारत के सुप्रीम कोर्ट जाती हैं, तो उनके खिलाफ प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया कोर्ट चला जाता है. यह कहने कि कश्मीर घाटी में मीडिया पर लगे बैन का वह समर्थन करता है. मेरी राय में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और पाकिस्तान के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी का दफ्तर एक ही बिल्डिंग में होना चाहिए.
एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार को यह सम्मान हिंदी टीवी पत्रकारिता में उनके योगदान के लिए मिला है. रेमन मैग्सेस सम्मान को एशिया का नोबल पुरस्कार भी कहा जाता है.
रवीश कुमार हिन्दी समाचार चैनल एनडीटीवी इंडिया का सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं. रवीश के अलावा 2019 का मैग्सेसे अवॉर्ड म्यांमार के को स्वे विन, थाईलैंड के अंगखाना नीलापाइजित, फ़िलीपीन्स के रेमुन्डो पुजांते और दक्षिण कोरिया के किम जोंग-की को भी मिला है.