जीवन में ऊंचाइयों पे जाने के लिए हमें निरंतर सीखते रहना होता है, इसके लिए हो सकता है कि दुनिया के किसी भी कोने में जाना पड़े, पर जिस धरती ने हमें उस लायक बनाया, आभावों से लड़ कर दुनिया में पहचान बनाने का जज़्बा सिखाया, क्या जरुरी है कि हम जीवन में कुछ प्राप्त करने के बाद वो सब भूल जाये?
अपनी जन्मजात प्रवृतियों, जिनके कारण हम कही भी, कुछ भी कर पाने में सक्षम है, और हर बार करते है, इसका उसका कर्ज भूल जाये?
कब तक पहले की परिस्थितियों और आम विचारधारा को दोष देते रहेंगे? हम दोष देते है, मतलब कमियां समझते है, तो उपाय भी हमें ही ढूँढना होगा। आखिर इस धरती ने हमें चुना है तभी तो हम ये समझ पा रहे है| चूँकि अँधेरा बहुत घना है, इसलिए हम सब को उस माँ के लिए सोचना होगा, अपने लोगो के लिए सोचना होगा, अपने जीवन में प्राप्त क्षमता के अनुसार जो भी कर सकते है, जितना भी कर सकते है, वो सब करना होगा।
हमारे हर जिलों की अलग-अलग विशेषतायें है, हर गांव में अलग-अलग प्रकार की संभावनाएं है, जो अपने आप में पर्याप्त है उस जगह को आत्म-निर्भर बनाने में| इन सब चीजों में नवाचार और तकनीकी समाधान (Innovations and Technological solutions), सामाजिक और लघु व्यवसाय उद्यमिता (social and small business entrepreneurship), कृषि (agriculture), पर्यटन (tourism), वित्तीय साक्षरता (Financial literacy), आदि की सबसे बड़ी भूमिका हो सकती है|
कुछ नहीं कर सकते तो लोगो को अपने अनुभवों के आधार पे राय तो दे ही सकते है, जब तक कोई वृहद् अभियान नही हो, तब तक अपने घर के अलावा किसी और का तो सोच ही सकते है। जरुरी नहीं है कि कुछ करने के लिए IAS-IPS ही बनना पड़े।
ये पलायन हमारे लिए सबसे बड़ी समस्या है जिसके उदाहरण वो सारे लोग, जो अभी राज्य से बाहर है, देख रहे होंगे, जिस स्थान का सबसे मेहनती और प्रतिभावान आयुवर्ग वहाँ से दूर रहे, वहां के बदलाव का और कौन सोच सकेगा?
ऐसा नहीं है कि हम कर नहीं सकते, सही पूछो तो हम लोग पलट के रख सकते है सबकुछ। नहीं विश्वास है तो अपने अब तक के संघर्ष याद करो।
ये बातें निरंतर परेशान करती है। मेरे साथ, बहुत सारे लोग जो अभी बाहर है, उन्हें भी करती होगी, आज सही दिन था, मन में भावनाएं उमड़ रही थी तो बता दिए। ईश्वर अभी और सक्षम बनाये की धरातल पे कुछ अपना योगदान ला सके। पर ये होना चाहिए, जो भी करे, जितना भी करे, पर आज से ही सारी संभावनाओं पर विचार करें कि अपने घर को कैसे संवार सकते है।
चल बिहार! जय बिहार! 🙏
– रवि कुमार