देश में बिहार के प्रति सबसे ज्यादा दुर्भावना है| देश के दुसरे राज्यों में जाकर, वहां के स्थानीय लोगों से बिहार के प्रति उनका विचार जानियेगा तो इसका प्रमाण भी मिल जायेगा| अगर इस मामले के गहराई में जाकर विश्लेषण कीजियेगा तो पता चलेगा कि ये दुर्भावना किसी के कही बातों, मीडिया में आई ख़बरों और तमाम परेशानियों के बाद भी बिहारियों के सफलताओं से जलन के कारण होता है|
बहुत से मामले में तो लोग किसी बिहारी व्यक्ति से व्यक्तिगत दुश्मनी या खुन्नस निकालने के लिए, बिहार को ही अपशब्द कहने लगते हैं| ऐसा ही कुछ टिप्पणी आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू ने प्रशांत किशोर पर हमला बोलते हुए कर दिया| चुनाव प्रचार के दौरान बिहार जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर पर हमला बोलते हुए नायडू ने प्रशांत किशोर को ‘बिहारी डाकू’ कहा है|
चाहे कोई भी मामला हो और कितने भी मतभेद हों, किसी राज्य के मुख्यमंत्री को ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए| नायडू द्वारा प्रयोग किये शब्द गाली के सामान हैं| वैसे तो राजनीति में भी व्यक्तिगत हमला नहीं करना चाहिए, उसके साथ किसी व्यक्ति को उसके राज्य के साथ जोड़ कर अपशब्द बोलना उस व्यक्ति के साथ पुरे राज्य का अपमान है| यह ठीक वैसे ही है, जैसे कोई किसी पर भड़ास निकालने के लिए माँ-बहन की गाली दे देते हैं|
इसपर प्रशांत किशोर ने ट्वीट में लिखा, ‘एक तयशुदा हार सबसे अनुभवी राजनेता को भी विचिलत कर सकती है। इसीलिए मैं उनके निराधार बयानों से हैरान नहीं हूं।’ श्रीमान जी, अपमानजनक भाषा, जो कि बिहार के प्रति आपके पूर्वाग्रह और द्वेष को दिखाती है का प्रयोग करने की बजाए इस बात पर ध्यान दें कि लोग आपको दोबारा वोट क्यों नहीं देंगे?’
अपना बिहार मानती है कि आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू एक लोकप्रिय नेता हैं, उनको अपने ये शब्द वापस लेना चाहिए और इसपर सफाई देना चाहिए| उनको लाखों लोग फॉलो करते हैं| ऐसे बयानों से बिहार के प्रति दुर्भावना और बढ़ सकती है|