समाजसेवी ज्योतिराव फुले और संविधान के रचयिता आंबेडकर जिस जातिवाद समाज के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे क्या पता था आज़ादी के 70 साल बाद वही समाज किसी विद्यालय की चौखट पर यूं पड़ा मिलेगा l बिहार के वैशाली जिले के सरकार द्वारा संचालित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में बच्चों को जाति और धर्म के आधार पर बांटने का काम किया जा रहा है l यह मामला है सरकार की ओर से चलाई जा रही जीए प्लस-2 स्कूल का l स्कूल में मुस्लिम और हिन्दू धर्म के छात्र अलग- अलग कक्षाओं में बैठकर पढ़ते हैं l
यही नहीं, स्कूल जाने वाले छात्रों की ऊपरी जाति, ओबीसी और दलित के आधार पर छटनी की जाती है और बाद में उन्हें उनके वर्ग के अनुसार अलग क्लासरूम में पढ़ाया जाता है l
आरोप है कि स्टूडेंट्स का उपस्थिति रजिस्टर भी अलग-अलग है और रजिस्टर में बच्चों के नाम के साथ उनकी जाति का जिक्र भी है l कहा जा रहा है की मुस्लिम और दलित समुदाय के छात्रों को कक्षा की चौखट तक लांगने नहीं दिया जाता है l ये सिस्टम चार साल से इसी तरह चलता आ रहा है l हालाँकि सभी छात्र स्कूल साथ आते और जाते है पर साथ पढ़ते नहीं है l इस नियम की जानकारी बिहार के एजुकेशन डिपार्टमेंट को भी नहीं थी l प्रदेश के शिक्षा मंत्री कृष्णदान प्रसाद वर्मा ने इस मामले में जांच की बात कही है l वर्मा का कहना है कि दोषियों को जल्द ही सजा दी जाएगी l
कृष्णदान प्रसाद वर्मा ने कहा, ‘अगर ऐसी स्थिति किसी भी स्कूल में मौजूद है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण और गलत है l स्कूल में छात्रों को धर्म और जाति के आधार पर बांटना कानून के खिलाफ है l’
वही स्कूल की संचालिका मीणा कुमारी का मानना है की सामाजिक अलगाव छात्रों के लिए फायदेमंद है l उन्होंने कहा कि ‘स्कूल में जाति और धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया गया है l इस सिस्टम से स्कूल में एक निश्चित शिक्षा प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने और सरकारी योजनाओं को कार्यान्वित करने में मदद मिलती है l’ बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्णा नंदन प्रसाद वर्मा ने इस घटना पर हैरानी जताई है l उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हो रहा है, तो ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है l साथ ही इस संबंध में स्कूल पर उचित कार्रवाई के संबंध में जानकारी लेने के लिए जिले के एजुकेशन ऑफिसर के पास विस्तृत रिपोर्ट भेजी गई है l
बता दे 2015 में बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में लालगंज से जीतकर राज कुमार साह एमएलए की कुर्सी पर विराजमान हुए l अपने विरोधी (जनता दाल यूनाइटेड) के प्रत्याशी विजय कुमार शुक्ला को हराकर राज कुमार ने लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) को जीत दिलाई l ये जानकारी महत्वपूर्ण है क्योंकि एलजेपी वही पार्टी है जो दलितों के अधिकार के लिए सबसे आगे खड़ी रहती है और उसी पार्टी के एमएलए के चुनाव क्षेत्र में जाति बंटवारा देखना शर्मसार है l सन 2000 में राम विलास पासवान की अध्यक्षता में लोक जनशक्ति पार्टी की शुरुआत हुई l लेकिन कहते है न हाथी के चबाने के दांत और, दिखने के कोई और l
1967 के आम चुनाव को हमेशा से ही भारतीय राजनीती का मोड़ माना जाता है और यही से शुरू होता है जाति पहचान का नया अध्याय l आज़ादी के बाद ऐसा पहली बार था जब कांग्रेस आठ सीटों पर हारी थी l इसके बाद से ही क्षेत्रीय राजनीति में कई बदलाव आए l कई समाजवादी पार्टियों ने जन्म लिया l 1980 एक ऐसा दौर था जब भारत की जाति नीतियों के डोमेन में नए रुझानों का विकास हुआ l
मंडल कमीशन के सुझाव पर प्रधानमंत्री वी.पी.सिंग की बदौलत 1990 में ‘जाती और राजनीती’ का मुद्दा आग की तरह फैला l 2000 के बाद से देश के बहुत से राज्यों में दलितों द्वारा विरोध देखा गया l
बिहार में दलित चले आ रहे पारम्परिक जजमानी सिस्टम के खिलाफ आवाज़ उठाने लगे l उन्होंने अपने हक़ के लिए लड़ना सीखा l मगर आज बिहार के एक स्कूल जहाँ छात्र अच्छी शिक्षा का सपना लेकर रोज़ सुबह तैयार होकर घर से निकलते हैं आज ऐसी हालत देखकर उसी राजनीती पर तरस आता है l