बिहार में सरकारी नौकरी का एक अलग ही क्रेज है| बच्चे को इस दुनिया में आने से पहले ही यह तय हो जाता है कि बच्चा बड़ा होकर बड़ा सरकारी बाबू बनेगा|
..और यह सब कहने कि बाते नहीं है या सिर्फ के सपना नहीं है| हकिकत में भी देश में मौजूद सरकारी नौकरियों में सबसे ज्यादा बिहारी ही है|
सरकारी नौकरी में भी सबसे बड़ा अगर पद है तो वह आईएएस का है| बिहार के बच्चों में आईएएस बनने के क्रेज को आप समझ सकते हैं| हर साल हजारों के संख्या में बिहारी छात्र दिल्ली के मुखर्जी नगर में आईएएस बनने का सपना लेकर आते हैं| ये छात्र मेधावी, मेहनती और जुनूनी भी होते हैं मगर गरीब घर से आने वाले ये ज्यादातर छात्र हिंदी मध्यम से होते हैं|
यूपीएससी में हर साल हिंदी मीडियम के छात्रों का कम होता रिजल्ट, इनकी चिंता बढ़ा रहा है| टॉप 100 में अब बड़ी मुश्किल से कोई हिंदी मीडियम का मिलता है|
इस चिंता के बीच एक सुखद खबर सुनने को मिली जब साल 2014 की यूपीएससी की परीक्षा में हिंदी माध्यम के अभ्यर्थी निशांत जैन को 13वीं रैंक मिली। उनका इस यूपीएससी में चयनित होना और आईएएस बनना आज भी हिंदी अभ्यर्थियों में आत्मविश्वास भर रहा है।
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निशांत राजस्थान कैडर के आईएएस अफसर हैं और फिलहाल माउंट आबू में एसडीएम के पद पर कार्यरत हैं। हमने उनसे यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने से जुड़ी कुछ बातें कीं, उम्मीद है कि आईएएस बनने का सपना देखने वाले युवाओं के लिए ये बातें उपयोगी साबित होंगी:
बीते एक दशक से यूपीएससी को लेकर एक बहस चल रही है कि अंग्रेजी के मुकाबले हिंदी और बाकी भारतीय भाषाओं के अभ्यर्थियों का चयन कम होता है। आपको क्या लगता है कि ये सिस्टम की खामी है या हिंदी या फिर बाकी भारतीय भाषाओं में परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों की तैयारी में ही कुछ कमी है।
निशांत जैन: देखिए, एक लाइन में इस सवाल का जवाब दिया नहीं जा सकता है, लेकिन मैं अपने सीमित अनुभव के आधार पर कुछ बातें कह सकता हूं। आप देखिए कि मेरी पूरी पढ़ाई हिंदी माध्यम से हुई। मैंने यूपीएसएसी का एग्जाम भी हिंदी में दिया यहां तक कि मेरा ऑप्शनल भी हिंदी साहित्य था। मुझे 13वीं रैंक मिली और उसमें भी अगर मेन्स में मिले अंकों की बात करें तो मुझे मुख्य परीक्षा में तीसरे सर्वाधिक अंक मिले। जहां तक हिंदी माध्यम में यूपीएससी देने की बात है तो मुझे दो बातें समझ में आती हैं- एक तो हिंदी में अच्छे मटीरियल और सोर्स की कुछ कमी है। उदाहरण के तौर पर करेंट अफेयर्स कवर करने के लिए अंग्रेजी में द हिंदू अखबार है, लेकिन उसके मुकाबले हिंदी में कोई अखबार नहीं दिखता। हालाँकि अब इस समस्या का समाधान काफ़ी हद तक हो गया है और ज़्यादातर सभी सरकारी और उत्कृष्ट निजी प्रकाशनों के हिंदी अनुवाद बाज़ार में उपलब्ध हैं।
आपके मुताबिक यूपीएससी की तैयारी के लिए न्यूनतम कितना समय पर्याप्त हो सकता है। क्या ज्यादा घंटे पढ़ाई करने से सफलता आसान हो जाती है?
निशांत जैन: अगर सिलेबस और परीक्षा चक्र को देखें तो एक से डेढ़ साल तो चाहिए ही होते हैं। इसके बाद आपको अगला अटेंप्ट देने के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि एक बार में आपका चयन नहीं होता है तो फिर से उसी लगन से परीक्षा की तैयारी करनी होगी।
अक्सर यूपीएससी क्लियर करने वाले युवा यही कहते हैं कि आईएएस बनने के लिए कोई फॉर्म्यूला नहीं है। लेकिन सबके इंटरव्यू में कुछ बातें एक सी होती हैं, चाहे वो स्टडी मटीरियल की बात हो या फिर मेहनत को लेकर?
निशांत: नहीं, नहीं ऐसा नहीं है। किताबें जरूर एक सी हो सकती हैं लेकिन हर व्यक्ति का पढ़ाई का तरीका अलग-अलग होता है। कुछ लोग कम घंटे पढ़कर भी अच्छा कर जाते हैं और कुछ लोग ज्यादा घंटे पढ़कर भी क्वॉलिफाई नहीं होते हैं। कुछ लोगों ने नौकरी के साथ तैयारी की और कुछ लोग ऐसे रहे जिन्होंने नौकरी ही नहीं की। तो हर व्यक्ति की अपनी क्षमताएं और बैकग्राउंड हैं और उसी के हिसाब से उसे तैयारी की रणनीति बनानी चाहिए।
हिंदी साहित्य विषय ऑप्शनल के लिए इतना चर्चित क्यों हो रहा है जबकि इसमें पढ़ी हुई चीजें बाकी के पेपर के लिए लाभदायक नहीं होतीं?
निशांत जैन: मेरा मानना है कि जब आप अपने वैकल्पिक विषय का चुनाव करें तो ये न सोचें कि यह विषय सामान्य अध्ययन के पेपर के लिए काम आएगा। आप वही विषय लें जिसमें आप अच्छे नंबर ला सकते हैं। उदाहरण के तौर पर आप सामान्य अध्ययन में इतिहास खंड की पढ़ाई करेंगे तो आप ज्यादा गहराई में नहीं जाएंगे, लेकिन वहीं अगर आप इतिहास को अपना वैकल्पिक विषय बनाएंगे तो आपको विषय की गहराई में जाना होगा। हिंदी साहित्य विषय की खासियत यह है कि इसमें आपको अंग्रेजी में परीक्षा देने वाले लोगों से मुकाबला नहीं करना पड़ेगा क्योंकि इसे तो हिंदी में ही लिखना पड़ता है। साथ ही इसमें निश्चित सिलेबस है और ख़ुद को ज़्यादा अपडेट नहीं करना पड़ता।
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UPSC हर बार अभ्यर्थियों को चकमा देता है और ऐसे सवाल पूछ लेता है कि अभ्यर्थी देखकर ही घबरा जाएं। इससे निपटने के लिए युवा कैसी तैयारी करें?
निशांत जैन: यूपीएससी की खासियत है कि इसमें सफल होने का कोई फिक्स फॉर्म्यूला नहीं है। लेकिन एक बात है कि सिलेबस तय है और हर विषय एक दूसरे से इस तरह जुड़ा हुआ है कि हम कुछ भी अलग नहीं कर सकते। इसलिए हमें हर विषय को एक दूसरे से जोड़ते हुए पढ़ना चाहिए। यहां तक कि करेंट अफेयर्स को भी। दूसरी बात, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र के जो अलग-अलग खंड हैं वे भी एक दूसरे से पूरी तरह से जुड़े हुए हैं। जैसे भूगोल का अर्थव्यवस्था से काफी गहरा संबंध है तो अर्थव्यवस्था का असर राजनीति और अंतरराष्ट्रीय सम्बन्धों पर भी पड़ता है। तो इस संबंध को पहचानने की जरूरत है और बिना किसी विचारधारा से प्रभावित हुए संतुलित रहकर बगैर अगर आप उत्तर लिख पाएं तो ज्यादा अंक मिलने की संभावना रहती है।
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