– सुनिए ना, आप भिखना पहाड़ी के तरफ रहती हैं ना?
– हाँ तो, कुछ काम है क्या?
– नहीं मतलब, अइसे ही पूछे हैं!
कोचिंग से निकलते ही ऊहे चेहरा हमको देखा गया, क्लास में जिसको देखने के लिए हम डेली टाइम से पहुँच जाते.. आ एकदम ओकरा बगले वाले बेंच पर बइठते.. फिजिक्स क्लास के लिफ्ट आ पुली में हमारा कोनो इंटरेस्ट नहीं रहता था.. पूरा क्लास में एक्को बार उनसे नज़र मिल जाता त हमारे दिल का लिफ्ट फुल इस्पीड से केतना बार ऊपर-नीच्चे हो जाता..
चाहे धरती पर न्यूटन बाबा का सेब गिरे आ चाहे उल्कापिंड, हमारा पूरा कनसनटरेशन एक्के जगह रहता था.. का कीजिएगा, उमर का दोष था सब.. नया-नया जवान हो रहे थे..
दोस्त लोग सब को भी बुझा गया था कि ई लड़का अब फिजिक्स, केमेस्ट्री आ मैथ पकड़ में नहीं आने वाला.. इसका नाव प्यार, इश्क आ मुहब्बत के बरमूडा ट्रेंगिल में डूब चुका है..!
बहुत दिन बाद क्लास गए हैं.. दोस्त सब कह रहा है “अजी एक हफ्ता से कहाँ गायब थे जी, गुलाबी छतरी वाली भाभीजी आपको खोजती रहती है..” एक हफ्ता से डेंगू से पीड़ाएल शरीर में लगा जइसे खून का प्लेटलेट्स एकदम से हरहरा के बढ़ गया.. मुरझाएल चेहरा एकदम से ललिया गया.. वैसे हमको भी पता है ई बात 101 परसेंट झूठ है लेकिन दिल के एक कोना को लग रहा है कि कहीं एक्को परसेंट सच होगा ता साला हमारा लाटरी लग जाएगा..
छुट्टी में ऊ बाहरे मिल गयी.. बहुत दिन बाद देखे थे.. देखने से मने नहीं भर रहा था कि पीछे से दोस्त सब फुसफुसाया ” अरे जाइए ना जी, काहे शरमा रहे हैं.. आप ही का वेट कर रही हैं..”
– हमको फिजिक्स का नोट्स दीजिएगा ज़रा.. डेंगू हो गया था ना, इसलिए हम एक हफ्ता से क्लास नहीं आ रहे थे..
– हम अपना नोट्स काहे दें आपको? दोस्त सब से ले लीजिए..
– अरे उनका हैण्डराइटिंग हमको समझ में नहीं आता है.. आ ऊ लोग नोट्स बनइबे कहाँ करता है, रात भर सब ताश खेलता रहता है..!
– ठीक है कल लेते आएँगे लेकिन टाइम से वापस कर दीजिएगा..!
पटना कितना सुंदर है, कितना खूबसूरत है, अब हमको पता चल रहा था.. अब लगता था ई जो इतना भीड़ फ्रस्टेट होकर भाग रहा है, ई सब भी प्यार काहे नहीं कर लेता है..? कम से कम खुश रहना त सीख जाएगा..
पटना मतलब खाली पढ़ाई थोड़बे है, पटना मतलब खाली स्ट्रगल थोड़बे है, पटना मतलब प्यार भी त है..
सबको किसी ना किसी से होबे वाला प्यार.. मम्मी-पप्पा, भाई-बहिन, दोस्त-यार सबके प्यार से अलग वाला प्यार.. जो हमको धीरे-धीरे जीने का सलीका सिखाता है.. अभी तक सरसों तेल लगाकर बाल कंघी से सोंट देते थे, गाँव के एहसान दर्जी का सिआएल कपड़ा पहिनते थे आ गोल्डस्टार का जूत्ता.. अब हमको भी लग रहा था कि हम बदल रहे हैं..
बाल में तेल के जगह जेल लगाकर हाथ से सेट करने लगे आ गाँव का सिलाइल कपड़ा ई बार गाँवे में बटीदार के बेटवा को दे दिए..!
गोल्डस्टार का जूतवा घरे छोड़ दिए आ ई बार वुडलैंड का लिए हैं..! हमारे सैमसंग चैम्प मोबाइल का आधा स्पेस 90’s love songs से भर गया.. उसी ठेला पर आइसक्रीम खाने लगे आ उसी ऑटो में बैठने लगे जिसमें राजा हिन्दुस्तानी, दिलवाले, जान आ आशिकी फिलिम का गाना बजता था..
सुने हैं अबकी जो गाँव गए थे ता महेन चा सबको कह रहे थे “अरे करण जी का बेटवा पढ़ता थोड़बो है.. उसको तो पटनिया हवा लग गया है..!!”
– अमन आकाश