2000 करोड़ की पूंजी के साथ शरू होगा पटना मेट्रो, दिसंबर में हो सकता है शिलान्यास

बिहार के लोग पटना में मेट्रो चलने का सपना काफी दिनों से देख रहे हैं मगर किसी न किसी कारण से पटना मेट्रो का शरू होने से पहले कुछ अर्चने आ जाती है| मगर सरकार के तरफ से आ रही ख़बरों के अनुसार पटना मेट्रो की अच्छे दिन अब आने वाले हैं|

राजधानी के सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में मेट्रो को शामिल करने की दिशा में सरकार ने एक और कदम आगे बढ़ाया है। मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल ने पटना मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसपीवी) के गठन को मंजूरी दे दी है। दो हजार करोड़ की पूंजी से शुरू होने वाले इस कॉरपोरेशन को मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन की जिम्मेवारी सौंपी गई है। पांच हजार शेयर वाली कंपनी में नगर विकास विभाग की हिस्सेदारी 98.9 फीसदी होगी।

पटना मेट्रो के लिए बनेगी डबल टनल हर एक से डेढ़ किमी पर होंगे स्टेशन

टना मेट्रो की संशोधित डीपीआर में हर एक से डेढ़ किमी पर मेट्रो स्टेशन रहेगा| दोनों कॉरिडोर मिला कर बनने वाले 24 मेट्रो स्टेशन में गोल्फ क्लब से पटना जू के बीच दूरी सबसे कम 671 मीटर जबकि पटना जंक्शन से मीठापुर के बीच सबसे अधिक लगभग दो किमी की दूरी होगी| दोनों कॉरिडोर पर अप व डाउन मार्ग के लिए  अलग-अलग रास्ते होंगे| अंडरग्राउंड में डबल टनल बनेगा, जिसमें एक से मेट्रो पूरब से पश्चिम जबकि दूसरे से पश्चिम से पूरब चलेगी|

दानापुर-मीठापुर कॉरिडोर पर आठ अंडरग्राउंड स्टेशन :  जानकारी के मुताबिक दानापुर-मीठापुर कॉरिडोर वन पर सबसे अधिक आठ स्टेशन अंडरग्राउंड रखे जाने हैं.
इस कॉरिडोर पर मेट्रो दानापुर से एलिवेटेड होकर चलेगी| यह सगुना मोड़ होते हुए आरपीएस मोड़ तक एलिवेटेड आयेगी, जहां से अंडरग्राउंड हो जायेगी| अगले पाटलिपुत्रा, रुकनपुरा, राजाबाजार, गोल्फ क्लब, पटना जू, विकास भवन, विद्युत भवन और पटना स्टेशन अंडरग्राउंड ही रहेंगे| पटना स्टेशन से मीठापुर तक दो किमी लंबी मेट्रो लाइन सड़क के बिल्कुल समानांतर होकर चलेगी|
पटना मेट्रो की फाइल फिलहाल विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली लोक वित्त समिति को भेजी गयी है| नगर विकास एवं आवास विभाग को समिति की मंजूरी का इंतजार है| मंजूरी मिलते ही इसे बिहार कैबिनेट को भेज दिया जायेगा|
बिहार कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे भारत सरकार के अनुमोदन के लिए भेजा जायेगा| भारत सरकार उस डीपीआर का मूल्यांकन कर एनओसी के लिए भेजेगी| इसमें एक से दो महीने का समय लग सकता है| भारत सरकार की सहमति के बाद टेंडर प्रक्रिया में भी दो से तीन माह लगने की संभावना है| तेजी से प्रक्रिया होने के बाद भी वर्क अलॉट कर शिलान्यास का काम दिसंबर से पहले होने की उम्मीद नहीं दिख रही|
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