“ऐ लड़का.. ऐ ललनमा के बेटा.. अरे इहाँ आओ.. तुम्ही पटना रहता है ना जी? केतना साल से रह रहा है? पढ़ने-उढ़ने में मन लगाता है ना कि खाली गार्जियन के पईसा गंगाजी में बहाता है?”
ई सवाल पटना रहे वाला सब इस्टूडेंट को गाँव में सुने पड़ता है.. हरेक टोला में एगो चच्चा-कक्का अईसा रहबे करते हैं जो आपको पटना से घर जाने पर फुर्सत में बइठा के इंटरभ्यू लेते हैं.. इनका इंटरभ्यू यूपीएससी के इंटरभ्यू से जादा हार्ड होता है.. हमारे टोला में अईसे ही एगो महेन्द्र चाचा हैं.. जिनको पूरा टोला “महेन चा” कहकर बुलाता है.. मैलहा उजरा गंजी, नीचे बुल्लू कलर का चेक वाला लुंगी, माथा पर बान्हल गमछा आ हाथ में खैनी.. गंजी आ लुंगी के बीच में एक बित्ता का गैप, जिसमें से चचा का तोंद बाहरी दुनिया का हवा लेता रहता है.. ईहे चचा का कुल चौहद्दी है.. पछियारी टोला से दछिनवारी टोला तक केकर भैंसी सबसे जादा दूध देता है, केकर लड़की का चक्कर केकरा से चल रहा है से लेकर मोदी जी नवाज शरीफ को का धमकी देकर आए हैं, इनको सब खबर पूरा डिटेल में मालूम रहता है.. ई अपना टोला के अरनब गोस्वामी होते हैं, बड़ा-बड़ा के बोली इनके सामने फेल रहता है.. याद कीजिएगा, आपके टोला में भी होंगे अइसे चचा!
हाँ, हम टापिक से भटक गए.. मेन मुद्दा ई है कि शाम के हम पटना से घरे पहुंचे आ सुबह-सुबह निकले गाँव का हवा लेने ता पीछे से “महेन चा” धर लिए..
“आरे तो तुम तीन साल से पटना रहा है ना, अभी तक कोनो एगजाम नहीं निकाला..! ऊ चौधरी जी के मझिला लड़का को देखो, पिछले अगहन में गया था आ अभी रेलवे में नौकरी पा गया.. अभी तो एक्को साल नहीं हुआ है उसका गया हुआ.. तुमलोग से कुच्छो नहीं होगा.. गार्जियन झुट्ठो के गोइठा में घी सूखा रहा है.. पढ़ाई-लिखाई नहीं सम्हर रहा है त आ जाओ गाँव, ईंहे खेती-बाड़ी में मन लगाओ.. हम बुझते हैं तुम सबसे ईहो नहीं होगा.. दू अच्छर पढ़ लिए हो ना..!”
महेन चा एक्के सुर में हमको चाँद-तारा दिखा दिए आ हम मोने-मोने सोच रहे थे कि केकर मुंह देख लिए जे भोरे-भोर इनसे पाला पड़ गया.. हम खाली हूँ-हाँ, अरे नहीं चचा, हो जाएगा, सब हो जाएगा करते रहे आ ऊ हमको पानी पी-पीकर गरियाते रहे.. का सोचे थे कि दोस्त लोग सब मिलेगा उसको पटना का कहानी बताएंगे.. बाजार समिति में पपीता खरीदते समय एगो लड़की दिखी थी जो फिर एक दिन नाला रोड में भी दिखी आ कईसे हम पहीले उसका कोचिंग फेर हॉस्टल पता किए, बहुत कहानी सोच के आए थे लेकिन ईहाँ चचा के अग्निपरीक्षा में हमारा सारा पटनिया हेकड़ी हवा हो गया.. तभी हमको याद आया कि चचो के लड़का इस बार मैट्रिक का एग्जाम दिया है..
“ता चचा, छोड़िए ना ऊ सब बात.. ई बताइए कि चिंटूओ ना ई बार मैट्रिक दिया था, का हुआ उसका रिजल्ट?”
अचानक चचा का सुर पंचम से मध्यम पर आ गया..
“अरे ई जो नितीशबा का सरकार है ई कुल शिक्छा को नाश कर दिया है.. मास्टर सब को वेतनमे नहीं देता है.. आब तुम्हीं बताओ, बिना पईसा के तुम ही मन लगा के काम करेगा! कोनो मास्टर पढ़ाता है ढंग से? बता दो कि हाई स्कूल के एक्को गो मास्टर मन से पढ़ाता हो! इसी सब से ता बिहार बदनाम है पूरा देस में!”
हम समझ गए कि चिंटूआ का ज़रूर मैट्रिक में क्रॉस लगा है.. अब हम थोड़ा हल्का फील कर रहे थे आ हंसते हुए आगे बढ़ गए जहाँ हमारा मित्र-मंडली कहानी सुनने के लिए बेचैन हो रहा था!