दसमा का रिजल्ट आया है. फर्स्ट डिविजन आए हैं हम. पटना जाने का तैयारी चल रहा है हमारा. आगे साइंस लिए हैं ना. साइंस वाला सब के लिए पटना मक्का-मदीना है. वहां जाना ज़रूरी होता है. बिना वहां गए मोक्ष नहीं मिलता है. त अभी पटने जा रहे हैं, बारहमा के बाद कोटा चाहे कहीं और जाएंगे. मम्मी सुबहे से पेड़ूकिया छानने में लगी है, बीच-बीच में अंचरा से नोर भी पोछ लेती है. छोटका भाई-बहिन सब सामान ठीक कर रहा है. पिताजी पैसा के जोगाड़ में कहीं गए हैं. पता नहीं कब आएँगे, कहीं बसो ना छूट जाए.
हमारे कलास में बहुते लड़का साइंसे लिया है. ता हमहू ऊहे ले लिए हैं. हमारे दिल्ली वाले मामाजी का बेटा भी बताया कि आजकल साइंस में ज्यादा एस्कोप है. फर्स्ट डिविजन आने के बाद पिताजी भी जोर देले हैं कि साइंसे लो. कॉमर्स-ऊमर्स लेके क्या करोगे!
बिगड़ल बेटी बने नर्स आ बिगड़ल बेटा पढ़े कॉमर्स..
दसमा में फर्स्ट डिविजन लाके आर्ट्स का तो सोचबो नहीं कीजिए. गाऊं-जबार के लोग हंस के मार देगा. बेटी के घर से भाग जाने आ बेटा के आर्ट्स लेने, दुन्नू में पिताजी का बराबरे नाक कटता है.
अरे पिताजी अभी तक नहीं आए. सब सामानो पैक हो गया है. मम्मी रो रही है तो हमरो रोए का मन कर रहा है. लेकिन भीतरे-भीतर खुश हैं कि अब हमहू पटना रहेंगे. सुबहे से सब हमको खूब समझा रहा है. बेशी घूमना नहीं, मन लगाकर पढ़ना, डेली फिलिम देखने नहीं जाना, किसी से झगड़ा-झाटी नहीं करना. हम हर बात पर “हूँ-हूँ, ठीक है” कर रहे हैं. उधर छोटका भाई अलगे पैर पटक के चिचिया रहा है कि हमहू भईया के साथ पटना जाएंगे. पन्द्रह मिनट में बस चौक पर आ जाएगा.
अब सबको गोर लागना शुरू कर दिए. सबसे पहले गोसाईं को गोर लागे हैं, फिर मम्मी को. मम्मी अंचरा के खूँटी में से पनसहिया का नोट निकालकर दी है. रख लो, तुमको जूत्ता नहीं है ना, वहाँ खरीद लेना. पिताजी भी धड़फड़ाएले आ रहे हैं. चलो-चलो, जल्दी चलो. बस चौक पर खड़ा है. हम घर से विदा हो गए पटना के लिए. सब चौक तक छोड़ने आया आ मम्मी देहरी पर खड़ा होकर रो रही थी.
हमारा बाल काण्ड ख़तम हो रहा है. अब ज़िन्दगी का लंका कांड शुरू होने वाला है. फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ, बाजार समिति, मकान मालिक, रूम भाड़ा, मुसल्लहपुर हाट, आईआईटी-जेईई, फाउंडेशन-टारगेट सब मिलकर हमारा मॉब लिंचिंग करने वाला है.
बस के खिड़की से गाँव का सबसे पुरनका भोला बाबा का मंदिर भी दिखना अब बंद हो गया है..!!