जाने माने समाज सुधारक और सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक को प्रतिष्ठित निक्की एशिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इससे पहले भी भारत की कई हस्तियों को जापान का यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुका है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ० मनमोहन सिंह और इंफोसिस के अध्यक्ष नारायण मूर्ति उन कुछ भारतीयों में से हैं जो अतीत में यह पुरस्कार जीत चुके हैं।
निक्केई एशिया प्राइज एक ऐसा अवॉर्ड है, जो उन उपलब्धियों को मान्यता देता है, जिन्होंने पूरे एशिया में लोगों के जीवन को बेहतर किया है। ये निक्केई इंक द्वारा 1996 में लॉन्च किया गया| यह प्रतिष्ठित पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने इन क्षेत्रों में से एक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है: क्षेत्रीय विकास; विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार; और संस्कृति और समुदाय ।
डॉ पाठक ने दो गड्ढे डालो-फ्लश पारिस्थितिकी खाद शौचालय का आविष्कार किया जो इस विकासशील दुनिया में लाखों लोगों के लिए कम लागत पर्यावरण के अनुकूल शौचालय उपलब्ध कराने मे मदद की।
इसमें ग्रामीण महिलाओं की सुरक्षा और मानव अपशिष्ट को हटाने के मैनुअल लेबर से आजादी भी सुनिश्चित की गई है ।
इस पुरस्कार को स्वीकार करते हुए डॉ० पाठक ने इसे समाज के दलितों वर्ग को समर्पित किया जिनके लिए वह पांच दशक से अधिक समय से लड़ अभियान चला रहे हैं। उंहोंने कहा कि यह पुरस्कार एशिया में विशेष रूप से और दुनिया में समाज की सेवा के लिए अपनी प्रतिबद्धता में एक और मील का पत्थर होगा|
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