केंद्रीय मंत्रिपरिषद में जिन नए सदस्यों को शामिल किया गया है उनमें बिहार के आरा से लोकसभा सदस्य राज कुमार सिंह भी शामिल हैं| वह देश के गृह सचिव भी रह चुके हैं| 20 दिसंबर 1952 को पैदा हुए राजकुमार सिंह 1975 बैच के बिहार कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी हैं|
राजनीति में आने के पहले वे एक कड़क मिजाज व प्रभावशाली आइएएस माने जाते थे।खास बात यह भी है कि आइएएस अधिकारी के रूप में उन्होंने भाजपा के तत्कालीन फायरब्रांड नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा रोककर उन्हें गिरफ्तार किया था। सेवानिवृत्त होने के बाद वे आरा से भाजपा के टिकट पर लोकसभा पहुंचे और अब राज्यमंत्री बनाए गए हैं। उनके विभाग की घोषणा फिलहाल नहीं की गई है।
राजकुमार सिंह बिहार के सुपौल जिला अंतर्गत बसबिट्टी गांव के रहने वाले हैं, जबकि ससुराल भोजपुर के बड़हरा ब्लॉक स्थित गजियापुर में है। वे आरा (भोजपुर) से सांसद भी हैं।
आरके सिंह ने अपने प्रशासनिक करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया, जिनमें केंद्रीय गृह सचिव का पद भी शामिल है| उन्होंने पुलिस आधुनिकीकरण और जेल आधुनिकीकरण की योजनाओं में भी खासा योगदान किया| इसके अलावा वह आपदा प्रबंधन का ढांचा तैयार करने में भी शामिल रहे|
आडवाणी के गिरफ्तार किया था
इतना ही नहीं आरके सिंह ही वह शख्स थे, जिन्होंने 1990 में सोमनाथ से अयोध्या की यात्रा पर निकले लालकृष्ण आडवाणी का रथ बिहार के समस्तीपुर में रोक लिया था और आडवाणी के गिरफ्तार कर लिया था| आरके सिंह उस समय समस्तीपुर के जिलाधिकारी थे|
आरके सिंह 1975 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी आर के सिंह जून 2011 में केंद्रीय गृह सचिव बने थे और दो साल बाद जून 2013 रिटायर हुए| इसके बाद उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर लिया था और 2014 में बिहार के आरा लोकसभा से सांसद बनकर आए है और मोदी सरकार के रविवार को हुए फेरबदल में उन्होंने केंद्रीय राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली है|
आर के सिंह ग्रेजुएट होने के साथ-साथ एलएलबी भी हैं| उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफेन कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में पढ़ाई की है फिर कानून में बैचलर डिग्री हासिल की| वो नीदरलैंड की आरवीबी ड्वेल्फ यूनिवर्सटी से भी पढ़ाई कर चुके हैं|
अपनी बेबाक बयानबाजी को लेकर सुर्खियों में रहने वाले आरके सिंह कई मौकों पर पार्टी को भी आइना दिखा चुके हैं| 2015 बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान इन्होंने पार्टी के प्रति नाराजगी जाहिर की थी| इन्होंने पार्टी पर कई गंभीर आरोप भी लगाए थे, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने इन पर कोई कार्रवाई नहीं की थी|