पटना के दीघा और सोनपुर के बीच एक और 2 लेन सड़क पुल की मंजूरी मिल गई है।
राज्य के कई इलाके अब भी अंग्रेजों के जमाने में बने पुल-पुलिया पर निर्भर हैं, रात के अंधेरे में इनसे गुजरने में दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। पश्चिम बिहार को पूरब से जोडऩे वाले कोईलवर रेल सह सड़क पुल अग्रेजों के जमाने में ही बना था जिसके समानांतर पुल बनाने की पहल अब शुरू हुई है।
लोगों के लिए खुशी की बात है कि पिछले दस सालों में राज्य का नेतृत्व मूलभूत सुविधाओं पर अपना ध्यान फोकस करते हुए सड़क, पुल और पुलिया का जाल बिछाने में लगा हुआ है। सरकारी पुल निर्माण एजेंसी इसमें आत्मनिर्भर हो गई है। कभी पटना को हाजीपुर के रास्ते उत्तर बिहार से जोडऩे वाला गंगा पर बना महात्मा गांधी सेतु एशिया के लिए नजीर बना था, आज इसकी हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि एक लेन भी अच्छी तरह काम नहीं कर रही।
बड़े और भारी वाहनों की आवाजाही के लिए अब भी इसका इस्तेमाल करना मजबूरी बना हुआ है। तकरीबन दस सालों से यह पुल लोगों को ज्यादा रुला रहा है। हालांकि इसकी जर्जर हालत ही केंद्र और राज्य सरकार को यह आवश्यकता महसूस कराने में सफल हुई है कि वाहनों के बढ़ते बोझ और मध्य बिहार की उत्तरी इलाकों से कनेक्टिवटी के लिए इस पुल की मरम्मत के बाद भी काम चलने वाला नहीं है। जापानी कंपनी इसकी मरम्मत में जुटी है।
अब पटना के रास्ते गंगा पार के लिए एक-दो नहीं बल्कि भविष्य में आठ पुल बन जाएंगे।
पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने सोमवार को दिल्ली में केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मिलने के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्री ने नये गांधी सेतु और पटना रिंग रोड के निर्माण को भी हरी झंडी दे दी है। दीघा-सोनपुर पुल के समानांतर नए फोरलेन पुल की मंजूरी मिलने के बाद राजधानी के पश्चिमी इलाके से उत्तर बिहार का जुड़ाव सघन हो जाएगा।
गंगा पर नए पुलों की सौगात मिलने में भले पांच-दस साल लग जाएं, पर यह तय है कि अगले पचास-सौ साल तक आम लोगों की दिक्कतें खत्म करने का प्रयास शुरू हो गया है। उम्मीद यह की जानी चाहिए कि नए पुल समय से बनें ताकि बिहार के विकास को पंख लगें।