सुप्रीम कोर्ट ने आज (मंगलवार) तीन तलाक के मुद्दे पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसे आज से खत्म कर दिया है। फैसले में तीन जजों ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताया है। ये तीन जज जस्टिस नरीमन, जस्टिस ललित और जस्टिस कुरियन हैं। वहीं, चीफ जस्टिस खेहर और जस्टिस नजीर ने संवैधानिक बताया है। तीन तलाक पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस्लामिक देशों में तीन तलाक खत्म किये जाने का हवाला दिया, कोर्ट ने पूछा कि स्वतंत्र भारत इससे निजात क्यों नहीं पा सकता है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस खेहर समेत सभी 5 जज सुबह तकरीबन 10:30 पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। इसके बाद चीफ जस्टिस खेहर ने फैसला पढ़ना शुरू किया। उन्होंने 6 महीने तक तीन तलाक पर रोक लगाते हुए कहा कि संसद कानून बनाए।
तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लोगों की लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही है. बिहार के नेताओं में लालू प्रसाद से लेकर सुशील मोदी तक ने ट्रिपल तलाक पर बयान दिए हैं. बिहार के नेताओं ने ट्रिपल तलाक पर दिये बयान यहां पढ़िए.
लालू प्रसाद, राजद सुप्रीमो
सुप्रीम कोर्ट ने 6 महीने का इंजेक्शन (रोक) लगा दिया है और संसद को निर्देश दिया कि आप 6 महीने में कानून बनाइए.अभी जजमेंट का अध्ययन नहीं किया है. फिलहाल ज्यादा कमेंट सही नहीं है. इस फैसले से किसी को ज्यादा खुश और दुखी नहीं होना चाहिए.
सुशील मोदी, डिप्टी सीएम
मुस्लिम महिलाओं को इस कानून के खत्म होने से बहुत बड़ी राहत मिलेगी. भारत के लिए यह क्रांतिकारी फैसला साबित होगा.
नीरज कुमार, जदयू प्रवक्ता
न्यायिक फैसला पर पूरी रिपोर्ट आने पर पार्टी अपना पक्ष रखेगी
उपेंद्र कुशवाहा,केंद्रीय मंत्री
तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासक फैसला है जो स्वागतयोग्य हैं. आज का दिन महिलाओं और सामाजिक न्याय की चाहत रखने वालों के लिए आजादी का दिन हैं.
गिरिराज सिंह, केंद्रीय मंत्री
तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुस्लिम महिलाओं के लिए स्वाभिमान और समानता के एक नये युग की शुरूआत है.
रामकृपाल यादव, केंद्रीय मंत्री
ट्रिपल तलाक के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला सराहनीय और स्वगात करने योग्य है. यह महिलाओं के सम्मान से जुड़ा विषय हैं.
शाहनवाज हुसैन, बीजेपी नेता
सुप्रीमो कोर्ट का फैसला स्वागतयोग्य है. आज मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिला है. इसपर कानून बनाने की जरुरत नहीं है. मुस्लिम महिलाओं के दर्द को कांग्रेस नहीं समझी. हमारी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के दर्द को समझा और उनकी बातों को कोर्ट के समक्ष रखा.