उत्तर बिहार पूरी तरह बाढ़ के चपेट में है, सैकारों लोगों की इस आपदा में मौत हो चुकी है, हजारों परिवार बेघर हो चुकें हैं तो लाखों लोग इस से प्रभावित हैं| इस आफ़त के घड़ी में कुछ लोग दिन-रात लोगों के सहायता में लगें हैं| उसी में से एक है सीतामढ़ी जिला के पंचायत सिंहवाहिनी की मुखिया रितु जैसवाल|सीतामढ़ी जिला के पंचायत सिंहवाहिनी पूरी तरह से बाढ़ की चपेट में है। बाढ़ के कारण यहां पर कोई राहत काम ठीक से नहीं चल पा रहा है। कोई अधिकारी भी बाढ़ प्रभावित इस क्षेत्र में नहीं आ रहे हैं।
इससे खिन्न रितु जैसवाल ने स्वंय ही बाढ़ पीड़ितों की सेवा का बीड़ा उठाया है। वेअपने पंचायत के मुखिया होने का कर्तव्य निभाते हुए इस मुश्किल समय में वे न सिर्फ उनलोगों के साथ खरी बल्कि उनकी हर संभव मदद भी कर रही है|
इस पर रितु जैसवाल ने अपने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए लिखा है –
हमारा पंचायत सिंहवाहिनी पूर्णतः बाढ़ की चपेट में है। हमारा सड़क मार्ग से संपर्क तक बाहरी दुनिया से टूट चुका है। नीचे से ले कर ऊपर तक सब से मदद मांग चुकी पर शायद सरकार के पास हम गाँव वालों केलिए मदद केलिए कोई राशि नही बची।
उन्होंने कहा कि जहां तक खाद्य सामग्री की बात थी तो अपने स्तर से हम गाँव वालों ने जहां जिसके पास जो भी, जितनी भी खाद्य सामग्री थी, उसे इक्कट्ठा करके ज़रूरतमंदों के बीच वितरित करना शुरू कर दिया है। हमारे घर से ले कर विद्यालय सब राहत शिविर में तब्दील हो चुके हैं।
आईएस की पत्नी है रितु जैसवाल
ॠतु जायसवाल 1995 बैच के आईएएस अरुण कुमार की पत्नी है| शादी के 17 साल बाद जब वह अपने ससुराल लौटी तो गांव की हालत देख इतनी व्यथित हुईं कि बदलाव लाने के लिए सोचने लगीं। गांव के हालात देख कर उन्हें ऐसा महसूस हुआ मानो वे प्रेम चंद्र की कहानी में पहुंच गई हों।
दुसरे लोगों के तरह नजरअंदाज करने के जगह ऋतु ने गाँव में बदलाव लाने की ठानी और बिहार के सीतामढ़ी के सोनवर्षा प्रखंड के सिंघवाहिनी पंचायत से मुखिया पद पर जीत हासिल कर इस गांव के विकास में लग गयी| कहती हैं कि उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं किया था कि ऐसा भी कोई गांव हो सकता है। यह सब देख वे इतना दुखी हुईं कि अपना सुख-सुविधाओं से भरा जीवन और दिल्ली जैसा शहर छोड़ने तक का फैसला कर लिया। रितु को उच्च शिक्षित मुखिया का अवॉर्ड भी मिल चुका है। इसके साथ ही उन्हें पंचायत के विकास के लिए भी कई अवॉर्ड मिले हैं।