बिहार के करिश्माई लाल और श्री प्रणव पांडे एवं सुमित्रा सिंह के छोटे पुत्र ईशान जिस नाम से आज भारत का कोई क्रिकेट-प्रेमी अंजान नहीं है। अपने शानदार नेतृत्व के बदौलत फ़रवरी 2016 में बांग्लादेश में आयोजित अंडर 19 विश्वकप में भारतीय टीम को फाइनल में पहुंचाने वाला खिलाड़ी आज 19 वर्ष के हो गए हैं।
आईपीएल के इस सीजन में नवादा के इस तूफानी बल्लेबाज ने 11 मैचों में 27.70 की औसत और 134.46 के बढ़िया स्ट्राइक रेट के साथ 277 रन बनाए थे। उनका टूर्नामेंट में सर्वाधिक स्कोर 61 था। इशान के इस शानदार प्रदर्शन के लिए दक्षिण अफ्रीका में होने वाली आगामी त्रिकोणीय सीरीज के बाद होने वाली दो चार दिवसीय अभ्यास मैच के लिए चयन हुआ है। इस चार दिवसीय श्रृंखला में इशान को एकमात्र विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में शामिल किया गया है
ईशान बचपन में क्रिकेट सिर्फ मस्ती के लिए खेला करते थे उन्हें क्रिकेट में कोई खास दिलचस्पी नही थी जबकि उनके बड़े भाई राज किशन एक अच्छा क्रिकेटर बनना चाहते थे दोनों भाई शुरुआत के दिनों में पटना स्थित कोच उत्तम मजूमदार के कोचिंग में क्रिकेट खेला करते थे, उत्तम ईशान के खेल से काफी प्रभावित हुए और उन्हें लगा ये भविष्य में एक अच्छा क्रिकेटर बन सकता है इसके लिए उत्तम ने ईशान के पिता से मिलकर उन्हें झारखण्ड भेजने का सलाह दिया चुकी बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) का मान्यता बीसीसीआई द्वारा रद्द कर किया जा चूका है। क्रिकेट में अपना भविष्य संवारने के लिए ईशान वर्ष 2013 में रांची चले गए।
ईशान को झारखंड की ओर से पहला रणजी मैच खेलने का मौका 2014 के अंत में असम के खिलाफ मिला। इस मैच में उन्होंने ओपनिंग की। ईशान ने टिककर खेलने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करते हुए 126 गेंदों में 60 रन बनाए, जिसमें 9 चौके शामिल थे। द्रविड हुए ईशान से प्रभावित दिया कफ्तानी का जिम्मा
अंडर-19 टीम के कोच और टीम इंडिया के दिग्गज ब्लेबाज रहे राहुल द्रविड़ वर्ल्ड कप से पहले टीम के खिलाड़ियों को भलीभांति परख लेना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने रोटेशन पॉलिसी अपनाई और न केवल खिलाड़ियों को रोटेट किया बल्कि कप्तान भी बदले। द्रविड़ ने बांग्लादेश और अफगानिस्तान के साथ खेली गई त्रिकोणीय सीरीज में जहां विराट सिंह और रिकी भुई को कप्तान के रूप में मौका दिया, वहीं हाल ही में भारत, श्रीलंका और इंग्लैंड के बीच खेली गई सीरीज में ऋषभ पंत और ईशान किशन को कप्तान के रूप में परखा। वे ईशान किशन की नेतृत्व क्षमता और खेल से प्रभावित हुए और संभवत: उनकी ही रिपोर्ट पर वेंकटेश प्रसाद की अध्यक्षता वाली जूनियर चयन समिति ने ईशान को अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए कप्तान चुन लिया।
अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे इशान 7 साल की उम्र से क्रिकेट खेल रहे इशान किशन की मां उन्हें डॉक्टर बनाना चाहती थी। वह चाहती थी कि बेटा खेल छोड़ पढ़ाई करे। वहीं, इशान दिनभर क्रिकेट खेलते रहते थे। वह सोते भी बैट साथ लेकर, जिससे मां को लगता था कि बेटे के सिर पर कोई भूत सवार है। इस भूत को हटाने के लिए उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ भी किया था। बैट-बॉल साथ लेकर सोते थे इशान…
”इशान के इसी जुनून के चलते उसे बचपन में स्कूल से निकाल दिया गया था।”
– ”वह पढ़ते वक्त टीचर की नजर से छुपकर कॉपी पर मैथ की जगह क्रिकेट की पिच का फोटो बनाते और फील्डिंग सजाते थे।”