बिहार बोर्ड मीडिया द्वारा किये जा रहे टॉपर्स की जाँच से सकते में नज़र आ रहा है। इसका सबूत मैट्रिक रिजल्ट के रूप में सामने आ रहा है। संभावित टॉपर्स को बोर्ड ऑफिस बुला कर उनकी जाँच की जा रही है। जवाब-तलब करने और फिजिकल वेरिफिकेशन करने के बाद ही उन्हें छोड़ा जा रहा है।
बताते चलें इससे पहले बारहवीं बोर्ड के रिजल्ट के बाद टॉपर्स पर मीडिया ने खूब सवाल उठाए थे, जिसके कारण बिहार बोर्ड और शिक्षा नीतियों की बहुत बदनामी भी हुई थी। इन्हीं वजहों से दसवीं बोर्ड का रिजल्ट मीडिया में जारी करने से पहले बोर्ड ऑफिस में ही उनका वेरिफिकेशन किया जा रहा है।
हालाँकि परीक्षार्थियों का यूँ आनन-फानन में बोर्ड ऑफिस पहुँचना इतना आसान भी नहीं है। बिहार से ज्यादातर परीक्षार्थी विभिन्न जगहों पर आगे की पढ़ाई के लिए निकल चुके होते हैं। ऐसे में उन्हें ऑफिस पहुँचने में हो रही देरी भी रिजल्ट आने में हुई देरी की वजह हो सकती है।
वहीं मैट्रिक में फेल हो रहे परीक्षार्थियों को विभाग ने ग्रेस मार्क्स देकर पास करने की योजना बनाई है। गौरतलब हो कि इंटर में महज 38 फीसदी परीक्षार्थियों का पास होना भी शिक्षा विभाग पर ऊँगली उठाने को मजबूर कर रहा था। इस वजह से मैट्रिक परीक्षा में जहाँ पहले 42 फीसदी रिजल्ट रहने की संभावना थी वहीं अब यह 55 फीसदी हो चुकी है।
बोर्ड सूत्रों की मानें तो अधिकतर परीक्षार्थी भाषा (हिंदी और इंग्लिश) के विषयों में फेल पाए गए थे। ऐसे में ग्रेस मार्क्स देकर उन्हें पास करने की कवायद शुरू हुई है। सभी विषयों में मिलने वाले ग्रेस मार्क्स से रिजल्ट की स्थिति में सुधाने आने की संभावना व्यक्त की जा रही है।