राष्ट्रपति चुनाव में पक्ष-विपक्ष की कवायद के बावजूद अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। राष्ट्रपति चुनाव की अधिसूचना बुधवार को जारी हो जाएगी। किसका मुकाबला किससे होगा यह अभी साफ नहीं है, लेकिन इतना तय है कि दोनों खेमों में बिहार की भूमिका अहम होगी। लालू-नीतीश के एक सुर-ताल से साफ है कि संयुक्त विपक्ष का जो भी प्रत्याशी होगा, उसमें बिहार के शीर्ष नेताओं की मर्जी चलेगी।
बिहार के सियासी समीकरण के मुताबिक राजग की तुलना में यूपीए प्रत्याशी को 8016 वोट अधिक मिल सकते हैं। लोकसभा, राज्यसभा एवं विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों के मत मूल्यों के मुताबिक बिहार में राजग प्रत्याशी को कुल 35,522 वोट मिल सकते हैं। यूपीए के खाते में 43,538 वोट आ सकते हैं।
बिहार के प्रत्येक विधायक का मत मूल्य 173 है। लोकसभा और राज्यसभा के प्रत्येक सदस्य का मत मूल्य 708 है। इस हिसाब से लोकसभा में तो बिहार से राजग का पलड़ा भारी है, किंतु विधानसभा में नौ हजार वोट से अधिक का फासला है।
243 सदस्यीय विधानसभा में महागठबंधन के 178 एवं राजग के 58 सदस्य हैं। चार निर्दलीय व तीन भाकपा माले के भी सदस्य हैं। लोकसभा में बिहार के कुल 40 सदस्यों में राजग के 31 तथा महागठबंधन के सात सदस्य हैं। एक राकांपा एवं एक असंबद्ध (पप्पू यादव) सदस्य हैं। राज्यसभा में महागठबंधन के 11 और राजग के पांच सदस्य हैं।
बड़ी पार्टी होने के नाते राष्ट्रपति चुनाव में कांग्र्रेस बेशक मुख्य भूमिका निभा सकती है, किंतु प्रत्याशी चयन एवं चुनाव अभियान में बिहारी नेताओं के बिना काम नहीं चलेगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले ही सोनिया गांधी से मिलकर संयुक्त विपक्ष को एकजुट करने का सुझाव दे चुके हैं।
नीतीश की पहल पर ही सोनिया ने विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी। नीतीश वर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को ही विपक्ष की ओर से दोबारा प्रत्याशी बनाने की मंशा भी व्यक्त कर चुके हैं। हालांकि बदले हालात में यह संभव नहीं दिख रहा है, क्योंकि प्रणव मुखर्जी ने जाने की पूरी तैयारी कर रखी है।
बहरहाल, नीतीश की अनुपस्थिति में गत 26 मई को नई दिल्ली में 17 बड़े दलों की बैठक में लालू प्रसाद की पहल पर ही प्रत्याशी चयन के लिए सोनिया गांधी को अधिकृत किया गया था। राजद प्रमुख के मुताबिक राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त विपक्ष एक होकर राजग का मुकाबला करेगा।
पक्ष-विपक्ष में आमसहमति की अटकलों में भी बिहार फ्रंटफुट पर खड़ा दिख रहा है। जदयू नेता शरद यादव को भाजपा की ओर से धर्मनिरपेक्ष छवि के प्रत्याशी दिए जाने पर किसी तरह की आपत्ति नहीं होगी। राजग की ओर से भाजपा के वरिष्ठ नेता सीपी ठाकुर ने भी राष्ट्रपति पद के लिए दावा करके बिहार को इस अहम चुनाव के पहले चर्चा में ला दिया है।