बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद के मुखिया लालू प्रसाद यादव पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। लगातार विवादों से घिरे लालू प्रसाद परिवार के सामने एक और मुसीबत आ चुकी है। मिट्टी और मॉल घोटाले की आग जल ही रहीं थी कि माफिया डॉन शहाबुद्दीन से बातचीत के टेप उजागर हो गयें । जबतक लालू प्रसाद यादव अपने होश में आते कि उससे पहले फिर चारा घोटाला का मामला फिर उनके सामने आ गया ।
950 करोड रुपये के चारा घोटाला मामले में आरजेडी प्रमुख लालू यादव और अन्य पर से आपराधिक साजिश और अन्य धाराएं हटाये जाने के खिलाफ CBI की दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में लालू यादव पर इस मामले में आपराधिक साजिश का केस चलाने की इजाजत दे दी है. कोर्ट ने 9 महीनों में सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ये भी तय कर दिया कि चारा घोटाले से जुडे अलग अलग मामले चलते रहेंगे. इस मामले में लालू यादव समेत 45 अन्य नेताओं पर केस चलेंगे.
लालू यादव की ओर से राम जेठमलानी पेश हुए थे और केस खारिज करने की मांग की थी. उन्होंने सीबीआई की दलील को खारिज कर दिया था. वहीं कोर्ट ने सीबीआई को भी मामले में देरी करने पर फटकार लगाई. साथ ही झारखंड हाईकोर्ट को भी कानून के तय नियमों का पालन नहीं करने पर लताड़ लगाई.
दरअसल, झारखंड हाईकोर्ट ने नवंबर 2014 में लालू को राहत देते हुए उन पर लगे घोटाले की साजिश रचने और IPC 420ठगी, 409 क्रिमिनल ब्रीच आफ ट्रस्ट और प्रिवेंशन आफ करप्शन के आरोप हटा दिए थे. हाईकोर्ट ने फैसले में कहा था कि एक ही अपराध के लिए किसी व्यक्ति को दो बार सजा नहीं दी जा सकती है. हालांकि हाईकोर्ट ने फैसले में यह भी कहा गया कि लालू यादव के खिलाफ आईपीसी की दो अन्य धाराओं के तहत मुकदमा जारी रहेगा.इस फैसले के आठ महीने बाद सीबीआई ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ जुलाई में सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी.सुनवाई के दौरान लालू प्रसाद यादव की तरफ राम जेठमलानी ने कहा कि सभी मामलों में आरोप एक जैसे है इसलिए मामले को लेकर दर्ज किये गए अलग अलग केसों को सुनने की जरूरत नहीं.
वही सीबीआई की तरफ से SG रंजीत कुमार ने कहा कि लालू प्रसाद के खिलाफ 6 अलग अलग मामले दर्ज हैं जिनमें से 1 मामले में वो दोषी करार दिए गए है और मामला हाई कोर्ट में लंबित है. सीबीआई की तरफ से रंजीत कुमार ने ये भी कहा कि सभी मामलों में साल, रिश्वत की रकम और ट्रांजेक्शन अलग अलग है इस लिए सभी मामलों को एक जैसा नहीं देखा जा सकता.
चारा घोटाला मामले में आरजेडी प्रमुख लालू यादव और अन्य पर से कुछ धाराएं हटाये जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट नेसुनवाई कर 20 अप्रैल को आदेश सुरक्षित रख लिया था.करीब950 करोड़ के चारा घोटाले के आरसी/20ए/96केस में लालू प्रसाद यादव के अलावा बिहार के पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्र, जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा समेत 45 आरोपी हैं। इस सभी पर चाईबासा कोषागार से 37.7 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का आरोप है.चारा घोटाला 1990 से लेकर 1997 के बीच बिहार के पशुपालन विभाग में अलग-अलग जिलों में लगभग 1,000 करोड़ रुपये के गबन से जुड़ा है. इस दौरान लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे.
सीबीआई ने अपनी हालिया अपील में हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें लालू प्रसाद यादव के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में केवल दो धाराओं के तहत सुनवाई को मंजूरी दी गई थी, जबकि अन्य आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि एक अपराध के लिए किसी व्यक्ति का दो बार ट्रायल नहीं हो सकता. झारखंड हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि भारतीय दंड संहिता की धारा-201(अपराध के साक्ष्य मिटाना और गलत सूचना देना ) और धारा-511 (ऐसा अपराध करने की कोशिश करना, जिसमें आजीवन कारावास या कारावास की सजा सकती है ) के तहत लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मामले की सुनवाई चलती रहेगी.
फैसले से पडे़गा महागठबंधन पर असर !
बिहार की राजनीति का पारा एक बार फिर से चारा घोटाले पर आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश की बदौलत बढ़ गया है। लालू प्रसाद यादव एक बार फिर इसके घेरे में हैं। मौजूदा समय में लालू यादव बिहार की राजनीति के केंद्र में हैं और सरकार में उनकी अहम भूमिका भी है। एक समय में लालू के धुर विरोधी माने जाने वाले नीतीश कुमार फिलहाल लालू प्रसाद यादव की बदौलत ही सत्ता पर काबिज हैं। लेकिन यदि इस मामले को लेकर राजद और जदयू में संकट गहराता है तो बिहार की राजनीतिक स्थिति काफी दिलचस्प हो जाएगी। इसकी वजह एक यह भी है कि हाल ही में सुशील मोदी ने नीतीश को जदयू से हटने की सूरत में समर्थन देने की बात कही है।
शाहबुद्दीन का भी मामला
बिहार में राजनीतिक संकट उभरने की आशंका इस लिहाज से भी ज्यादा दिखाई दे रही है क्योंकि हाल ही में लालू प्रसाद यादव और बिहार के बाहुबली नेता शाहबुद्दीन का जो कथित ऑडियो टेप सामने आया है उसको लेकर विपक्ष राज्य सरकार पर जोरदार हमले बोल रहा है। यहां पर यह कहना भी गलत नहीं होगा कि बिहार में नीतीश की साफ सुथरी छवि पर इन हमलों से दाग भी लग रहा है। बाहुबली नेता शाहबुद्दीन के साथ लालू प्रसाद यादव के संबंध और नीतीश कुमार की शाहबुद्दीन से नाराजगी भी किसी से छिपी नहीं है। इस लिहाज से जहां लालू यादव दो मामलों में घिरते दिखाई दे रहे हैं वहीं नीतीश कुमार के पास फिलहाल इनका कोई जवाब नहीं है।
मोदी की तारीफ कर चुके हैं नीतीश
इस गठबंधन की संभावना इसलिए भी बढ़ती दिखाई दे रही है क्योंकि बीते कुछ माह में नीतीश कुमार ने पीएम मोदी के फैसलों का खुला समर्थन किया है। फिर चाहे वह नोटबंदी का मुद्दा ही क्यों न रहा हो, जिसपर समूचा विपक्ष पीएम मोदी को उनके फैसले के लिए घेरने की कोशिश कर रहा था, लेकिन नीतीश ने उनका समर्थन कर समूचे विपक्ष को हैरानी और परेशानी में डाल दिया था।