ई ह ललका गुलाब! ई काहे ललका गुलाब ह, जाने खातिर देखे पड़ी। टेक्निकल भाषा में कहल जाव त ई एगो शॉर्ट फ़िल्म ह, जेकर निर्देशक अमित मिसिर जी बानी। अमित जी बिहारे के हईं, भोजपुर जिला के डुमरांव के। उहे डुमरांव, ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ वाला। खैर, फिलिम बनावे वालन के कहनाम बा कि ई फिलिम भोजपुरी में बा, इंग्लिश subtitle के साथ। भोजपुरी में प्रेम के सुंदर अभिव्यक्ति देखे के होखे त एही खातिर बा ई ‘ललका गुलाब’। प्रेम के आध्यात्मिक जुड़ाव देखे के होखे त एही खातिर बा ई ‘ललका गुलाब’। आध्यात्म के सांसारिक पहलु देखे के होखे त एही खातिर बा ई ‘ललका गुलाब’।
ये शिकायत अक्सर होती रहती है कि भोजपुरी में सिर्फ अश्लील फ़िल्में बनती हैं। अगर आप चाहते हैं कि कोई निर्माता-निर्देशक भोजपुरी में अच्छी विषयों पर अच्छी फिल्में बनाएँ तो आपकी भी जिम्मेदारी बनती है कि उनके इस विश्वास को बदलें, जो ये कहता है कि “भोजपुरी में अच्छी फिल्मों को दर्शक नहीं मिलते”। इस ‘ललका गुलाब’ को देखने के लिए आपको महज 15 मिनट का वक़्त निकालना होगा जो आप घर में, ऑफिस में या कैब में बैठे-बैठे भी निकाल सकते हैं। इस शार्ट फिल्म को देखिये, इसलिए नहीं कि हम कह रहे, इसलिए नहीं कि ये भोजपुरी में है, इसलिए भी नहीं कि निर्देशक और कलाकार बिहारी हैं और इसलिए भी नहीं कि इनकी फ़िल्म अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल्स में शामिल हुई है, बल्कि इसलिए देखिये कि आपके एक व्यू से एक नई परिपाटी, नई सोच बनने वाली है। आपके एक व्यू से भोजपुरी सिनेमा पर एक विश्वास पुख्ता हो सकता है। आपके एक व्यू से भोजपुरी का अच्छा दौर शुरू हो सकता है। आपके एक व्यू से नई पीढ़ी को अच्छी भोजपुरी सिनेमा के युग में प्रवेश करने का मौका मिल सकता है।
फिल्म कईसन बा, ई बता के स्पॉइलर ना बनब हम, बस एतना कहब- हैप्पी ‘ललका गुलाब’!