राजनीति संभावनाओं का खेल है और इस खेल में हर चाल के पिछे एक मकसद होता है । राजनीति में कब कोई फकीर राजा बन जाए और कब कोई राजा फकीर बन जाए इसका कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता है । इस कथन का सबसे अच्छा उदाहरण बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी हैं ।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जीतनराम मांझी देश में दलित राजनीति के कद्दावर नेता में से एक माने जा रहें थें और सभी बड़े राजनीतिक पार्टियों में उनको साथ लेने की होड़ थी । मगर राजनीति का खेल देखिए कुछ ही महिने बाद आज वे अपने राजनीतिक कैरियर को बचाने में लगें हैं ।
जीतन राम मांझी ने अमित शाह के साथ मुलाकात की है. ऐसा बताया जा रहा है कि ये मुलाकात मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल होने वाला है इसको देखते हुए की गई है. कयास लगाए जा रहे हैं कि मांझी ने ये मुलाकात केंद्र की सरकार में सम्मानित पद पाने के लिए की है. मांझी और बीजेपी का रिश्ता काफी पुराना है. 2015 का बिहार चुनाव मांझी और बीजेपी एक साथ लड़ चुके हैं.
2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो नीतीश कुमार ने चुनाव में मिली करारी हार के बाद बिहर के मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफे के बाद उन्होंने जीतन राम मांझी को बिहार का मुखयमंत्री बनाया था. लेकिन नीतीश कुमार के साथ उनके मतभेद होने के कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था. जिसके बाद मांझी ने अपनी एक नई पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ‘हम’ भी बनाई थी.
गौरतलब है कि एनडीए के तीन साल 26 मई को पूरे हो रहे हैं. इसको देखते हुए मोदी सरकार अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल कर सकते हैं. इसी को देखते हुए मांझी ने ये मुलाकात की है.