बिहार राज्य में जल्द ही दारोगा और सिपाही के करीब 24 हजार पदों पर बहाली होगी।
पुलिस मुख्यालय में बहाली को लेकर कवायद शुरू कर दी गयी है। सभी जिलों को सिपाही और दारोगा के खाली पड़े पदों का श्रेणीवार रोस्टर तैयार करके मई के अंत तक हर हाल में भेजने का निर्देश दिया गया है। सभी जिलों से रोस्टर प्राप्त होने के बाद यह पूरी तरह से स्पष्ट हो जायेगा कि किस जिले में दारोगा और सिपाही के कितने पद किस श्रेणी में खाली पड़े हुए हैं।
राज्य में 20,000 पद सिपाही और करीब 4000 पद दारोगा के खाली हैं। सभी जिलों से रोस्टर प्राप्त होने के बाद इसकी पुलिस मुख्यालय अपने स्तर पर समीक्षा करेगा। इसके बाद बहाल की प्रक्रिया शुरू करने से संबंधित सूचना बिहार राज्य पुलिस भर्ती बोर्ड को भेज दी जायेगी। विभाग की तरफ से हरी झंडी मिलने के बाद राज्य पुलिस भरती बोर्ड इसका विज्ञापन निकालेगा।
पूरी प्रक्रियायों को पूरी करने और बहाली का विज्ञापन निकलने में पांच से छह महीने का समय लगेगा। हालांकि, यह तय है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान हर हाल में दारोगा और सिपाही की बहाली शुरू हो जायेगी।
महिलाओं को 35% आरक्षण : बहाली में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। सरकार ने पहले ही महिलाओं के लिए आरक्षण की घोषणा कर रखी है।
- इस पूरी बहाली को तुरंत पूरा करने की तैयारी है। एक बड़े अधिकारी के मुताबिक इस बार ऐसा नहीं होगा जैसा 2004 में दारोगा की बहाली में हुअा था।
- नए तरीके से होगी सिपाही की भर्ती
- लिखित परीक्षा केवल क्वालिफाइंग
- शारीरिक परीक्षा के अंक पर ही चयन
- सिपाही भर्ती का तरीका बिल्कुल बदल गया है। अब लिखित परीक्षा केवल फिजिकल के लिए क्वालिफाइंग होगी।
- शारीरिक परीक्षा में मिले अंकों के आधार पर ही मेरिट लिस्ट बनेगी या बहाली होगी।
- इसके विभिन्न पहलू यानी दौड़, गोला फेंक, ऊंची कूद के अंक तय कर दिए गए हैं। इन्हीं अंकों के बूते मेरिट लिस्ट बनेगी।
- नई व्यवस्था में सभी वर्ग को बहाली के लिए उम्र में 2-2 वर्ष की छूट दी गई है।
- लिखित परीक्षा में गोलमाल नहीं हो, इसलिए लिखित परीक्षा की उत्तर पुस्तिका की कार्बन कॉपी चयन पर्षद के पास भी रहेगी।
- दारोगा भर्ती पुराने पैटर्न पर, पहले फिजिकल, फिर लिखित परीक्षा
- दारोगा बहाली की प्रक्रिया में सबसे पहले फिजिकल टेस्ट होगा। शारीरिक परीक्षा में सफल होने पर लिखित परीक्षा देनी होगी। पिछली बार भी इसी पैटर्न पर बहाली हुई थी।
- बिहार में जवानों की भारी कमी, एक लाख लोगों पर सिर्फ 70
- राष्ट्रीय आैसत के मुकाबले बिहार में पब्लिक व पुलिस का अनुपात काफी कम है। राष्ट्रीय आैसत है-1 लाख आबादी पर 143 पुलिसकर्मी।
- लेकिन बिहार में 1 लाख लोगों की सुरक्षा के लिए महज 70 पुलिसकर्मी ही हैं।
- 20 हजार सिपाही व 4 हजार दारोगा की बहाली के बाद प्रति एक लाख की आबादी पर पुलिसकर्मियों की संख्या 150 तक हो जाएगी
- थानों में 30 फीसदी अफसरों के पद खाली
- बिहार पुलिस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह के मुताबिक थानों के स्तर पर 30 फीसदी अफसरों (जमादार से इंस्पेक्टर तक) की कमी है।
- इसके कारण अफसरों पर काम का दबाव रहता है। नतीजतन कार्यक्षमता पर भी बुरा असर पड़ता है।
- ऐसे हालात को देखते हुए बहाली की प्रक्रिया को जल्दी पूरा करने की आवश्यकता है।
- सिपाहियों की कमी के कारण ही 32 हजार होमगार्ड विधि-व्यवस्था व अन्य सुरक्षा के काम में लगाए जाते हैं।