बिहार के रोहतास जिले से एक बड़ी खबर आ रही है। ये खबर जितनी बड़ी है उससे कहीं ज्यादा ऐतिहासिक। 500 साल पहले शेरशाह सूरी, जिन्होंने मुग़ल शासकों की नींव हिला दी थी, ने अपने कार्यकाल में कई विशेष कार्य किये थे, उनमें से एक था ग्रैंड ट्रंक रोड।
उस रोड की झलक जिसे हम अभी तक जीटी रोड के नाम से देखते-जानते आये हैं-
समय के साथ ये ग्रैंड ट्रंक रोड, जो लाहौर से कलकत्ता से आगे चटगाँव (बांग्लादेश) तक विस्तृत था और उस समय का सबसे लंबा रोड था, कहीं विलुप्तप्राय होता गया। बिहार में सोन नदी के अंदर बालू के नीचे छिपे इस सड़क के लगभग 4 किलोमीटर के अंश को खोज निकाला गया है।
ज्ञात हो कि 2016 के भीषण बाढ़ के बाद पानी यहाँ का रेत बहा ले गयी जिसके बाद पानी सूखते ही यह सड़क दिखने लगी थी। गहन शोध के बाद ASI (भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण) की टीम ने इस मार्ग के शेरशाह द्वारा बनाये गए ग्रैंड ट्रंक के अंश होने का दावा किया है। लगभग 500 साल पहले पत्थरों से बनी यह सड़क 18 फ़ीट चौड़ी है। इसका वास्तविक स्वरूप अब रोहतास में सोन नदी में देखा जा सकेगा।
शेरशाह सूरी द्वारा निर्मित सड़क का वह हिस्सा जो सोन नदी में मिला है-
बताया जा रहा है कि इस सड़क के हिस्से के मिलने के बाद जीटी रोड के और भी अंश मिलने की उम्मीद जगी है। गौरतलब हो, करीब एक साल पहले देखे गए इस रोड पर कई ऐसे प्रमाण मिले हैं जो यह साबित करते हैं कि यह शेरशाह सूरी द्वारा बनवाया गया जीटी रोड का ही हिस्सा है। इतिहासकारों का भी दावा है कि शेरशाह द्वारा बनाया गया रोड सोन नदी से होकर जाता था, संभवतः यह वही रोड है। इस रोड के और अंश तलाशने की तैयारी में पुरातत्व विभाग की टीम शोध करेगी।
याद दिलाते चलें आपन बिहार के अभिन्न अंग अंकित कुमार वर्मा द्वारा किये गए उस पोस्ट की जो उन्होंने 4 जुलाई 2016 में किया था, जिसमें इस रोड की पहली झलक की तस्वीर लगायी गयी थी। यह तस्वीर रोहतास के ही एक पत्रकार मदन कुमार द्वारा प्राप्त की गयी थी और संयुक्त रूप से रोहतास डिस्ट्रिक्ट और आपन बिहार के पेज पर शेयर की गयी थी। ये रहा उस पोस्ट का स्क्रीनशॉट-
जिले के तात्कालिक पुलिस अधिक्षक एवं जिलाधिकारी भी पहुँचे थे इस रोड का वास्तविक स्वरूप देखने-