प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने 1 मई से सभी प्रकार के सरकारी वाहनों पर लाल बत्ती लगाने पर पाबंदी लगा दी है. केंद्रीय कैबिनेट के निर्णय पर राज्य में अमल हुआ तो प्रदेश के साढे चार सौ से अधिक वीवीआइपी व वीआइपी गाड़ियों से लाल-नीली बत्ती हट जायेगी. लाल और पीली बत्ती हटने वालों में सरकार के मंत्री, विधानमंडल के विभिन्न कमेटियों के सभापति और अनुमंडल से सचिवालय में बैठे आइएएस और आइपीएस अधिकारी भी शामिल हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गाड़ियों पर पहले से ही लाल बत्ती नहीं जलती है. अब उपमुख्यमंत्री समेत सरकार के सभी मंत्रियों की गाड़ियों से लाल बत्ती हट जायेगी. मंत्रियों के अलावा बिहार विधानमंडल की 58 विभिन्न कमेटियों के सभापति की सरकारी गाड़ियों से भी लाल बत्ती उतर जायेगी.
मोदी सरकार के इस फैसले से बिहार सरकार के कई मंत्री नाखुश हो गए हैं. उनके नाराज होने की वजह है उनके पास से वीआईवी स्टेटस का छिन जाना और उनके रुतबे में कमी आना. शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी और उत्पाद मंत्री अब्दुल जलील मस्तान ने 1 मई से पहले अपने सरकारी वाहन पर लगी लाल बत्ती हटाने की बात कही. जबकि ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव और ग्रामीण विकास मंत्री शैलेश कुमार इस फैसले को लेकर केंद्र सरकार से नाराज नजर आए. विजेंद्र यादव ने कहा कि केंद्र सरकार का यह फैसला राज्य सरकारों पर बाध्य नहीं है. वहीं जल संसाधन मंत्री ललन सिंह से जब लाल बत्ती हटाने को लेकर सवाल पूछा गया तो जनाब इतने नाराज हो गए कि मीडिया के सवाल का जवाब दिए बिना ही सचिवालय के अंदर चले गए.
ऐसे में वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी जैसे लोगों की भी गाड़ी थी जिनके ड्राइवरों ने मीडिया के कैमरे को देखते हुए साहब की सरकारी गाड़ी से लाल बत्ती को हटा दिया. इस दौरान डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि वह पहले से ही लालबत्ती कल्चर के खिलाफ हैं. जनता की सेवा करना उनका अहम काम है, ना कि वीआपी स्टेटस दिखाना.
लाल बत्ती लगाने का इन्हें था अधिकार
वित्त विभाग की पांच सरकारी गाड़ियों, केंद्र सरकार व अन्य राज्यों के उच्च पदों के अधिकारियों के प्रयोग में लानेवाली गाड़ियां, बिहार विधान परिषद के उपसभापति, विस के उपाध्यक्ष, मंत्री, राज्य मंत्री, उप मंत्री, राज्य निर्वाचन आयुक्त, राज्य योजना पर्षद के सदस्य, मुख्य सचिव, महाधिवक्ता, बिहार अल्पसंख्यक आयोग, एससी-एसटी आयोग के , अति पिछड़ा वर्ग आयोग, महादलित आयोग, उच्च जातियों के लिए आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग व बीपीएससी के अध्यक्ष, प्रधान अपर महाधिवक्ता, विधानसभा की कमेटी के सभापति व विधान परिषद की कमेटी के अध्यक्ष।
नीली बत्ती लगाने का इन्हें था अधिकार
सभी प्रधान सचिव, पुलिस-अपर पुलिस महानिदेशक, सरकार के सचिव, महानिबंधक-निबंधक उच्च न्यायालय, प्रमंडलीय आयुक्त, पुलिस महानिरीक्षक, क्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक, राज्य परिवहन आयुक्त, क्षेत्रीय पुलिस उप महानिरीक्षक , जिला व सत्र न्यायाधीश, प्रधान न्यायाधीश, समकक्ष, जिला पदाधिकारी, अपर जिला व सत्र न्यायाधीश, उप विकास आयुक्त, अपर जिला दंडाधिकारी, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी।
पुलिस, एंबुलेंस व अग्निशमन जैसी इमरजेंसी गाड़ियों पर नीली बत्ती की छूट
केंद्रीय कैबिनेट के फैसले में कहा गया है कि पुलिस, एंबुलेंस व अग्निशमन जैसी इमरजेंसी गाड़ियों पर ही नीली बत्ती के इस्तेमाल की छूट होगी। केंद्रीय कैबिनेट के निर्णय पर अब राज्य सरकार को फैसला लेना है। समवर्ती सूची में परिवहन के शामिल होने से केंद्र के अलावा राज्य सरकार को निर्णय लेने का अधिकार है। अब बिहार सरकार को इस मामले में निर्णय लेना है। परिवहन विभाग के अधिकारियों की माने तो केंद्र सरकार के निर्णय को देखा जायेगा, इसके आधार पर निर्णय लिया जायेगा।
सीएम की गाड़ी पर पहले से नहीं जलती लाल बत्ती
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गाड़ियों पर लाल बत्ती नहीं जलती है. पिछले कई साल से उनके वाहनों में वीवीआइप बत्तियां नहीं जलायी जाती है. अब तो सीएम की काफिले में चलने वाली गाड़ियों से सायरन भी नहीं बजाया जाता. पिछले साल सरकार ने राज्यपाल और मुख्य न्यायाधीश की गाड़ियों को छोड़ सभी वीवीआइपी गाड़ियों से सायरन लगाने से मना कर दिया था.