योगी सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट मीटिंग में ही बड़ा फैसला लेकर किसानों से किया चुनावी वादा पूरा कर दिया है। मंगलवार शाम को हुई बैठक में लघु व सीमांत किसानों को कर्जमाफी की सौगात देते हुए प्रदेश सरकार ने उनका एक लाख रुपये तक का फसली ऋण माफ कर दिया। साथ ही साथ उन किसानों का पूरा कर्ज माफ कर दिया है, जिन्हें बैंकों ने एनपीए घोषित कर दिया था। सरकार ने फसली ऋण के लिए 30,729 करोड़ और एनपीए ऋण के लिए 5630 करोड़ यानी कुल 36,359 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है।
इसमें सबसे खास बात यह है कि यूपी सरकार ने यह फैसला अपने दम पर किया है । केंद्र सरकार से एक पैसा का भी आर्थिक मदद राज्य को नहीं मिला है । इस फैसले का स्वागत तो सभी ने किया मगर इस फैसले के साथ दूसरे राज्य सरकारों पर भी कर्ज माफी का दवाब बढ़ गया है।
देश के अन्य राज्यों में भी किसानों के कर्ज को माफ करने की बात की जा रही है । चुकी दुसरे राज्यों के तरह बिहार में भी किसानों की स्थिति ठीक नहीं है तो बिहार में भी यह मांग उठना लाजमी है। आज केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह संसद में देश के अन्य राज्य सरकारों को यूपी से सीख लेते हुए अपने प्रदेश में भी किसानों को राहत देते हुए कर्ज माफ करने को कहा है । राधामोहन सिंह बिहार के सांसद है इसलिए उनके इस सलाह से बिहार सरकार पर दवाब बढना निश्चित है।
भाजपा नेता व विधान पार्षद कृष्ण कुमार सिंह उर्फ कुमार बाबू ने कहा है कि बिहार के किसानों की हालत भी उत्तर प्रदेश जैसी है। उन्होंने सीएम नीतीश कुमार से राज्य के किसानों के दयनीय स्थिति को देखते हुए उत्तर प्रदेश के तरह ही अगली कैबिनेट बैठक में राहत की घोषणा करने का अनुरोध किया है।
ज्ञात हो कि बिहार के 80 प्रतिशत यानी 8 करोड़ से भी ज्यादें लोग कृषि पर निर्भर हैं और राज्य में किसानों की दुर्दशा जगजाहिर है । बिहार में लगभग 30 हजार करोड़ रूपये का कृषि ऋण किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए किसानों को दिया गया है। हांलाकि सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मुद्दे पर खामोश है मगर किसानों को उम्मीद है कि यूपी के तर्ज पर नीतीश कुमार भी किसानों को कर्ज माफी कर राहत देंगे ।