शरद विवेक सागर नए बिहार को गढ़ने के लिए नई सोच के साथ काम कर रहे हैं और बिहार की जनता इसमें उनका पूरा समर्थन भी कर रही है। इसका गवाह उनका फेसबुक पेज भी है जिससे 2 लाख से अधिक लोग जुड़ चुके हैं। इस आँकड़े तक पहुँचने वाले शरद बिहार के कुछ चुनिंदा शख्सियतों में शुमार हैं।
सिवान में पैदा हुए शरद विवेक सागर ने महज़ 16 साल की उम्र में सामाजिक संस्थान डेक्सटेरिटी ग्लोबल की स्थापना की। जिस उम्र में हम अपने दोस्तों के साथ ‘किस पिकनिक पर जायेंगे’ के फैसले को लेकर परेशान रहते हैं, उस उम्र से शरद बिहार के कोने-कोने में जाकर युवाओं को शैक्षिक अवसरों से जोड़ने का काम कर रहे हैं। 2.5 करोड़ की स्कालरशिप पर अमेरिका के टफ्ट्स यूनिवर्सिटी में पढ़ाई पूरी कर शरद बिहार लौट आये। शरद ने विश्व के सबसे प्रसिद्ध हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के मास्टर्स डिग्री के ऑफर को ठुकरा कर बिहार वापस आने का फैसला किया एवं एक नए बिहार को गढ़ने के काम में लग गए।
2008 में शरद द्वारा स्थापित डेक्सटेरिटी ग्लोबल 12 लाख बच्चों को शैक्षिक अवसरों से जोड़ने का काम कर चुकी है एवं नयी पीढ़ी के युवा लीडर्स तैयार करने में निरंतर कार्यरत है।
पिछले ही साल इन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बुलावे पर व्हाइट हाउस जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। इसके अलावा इन्हें 2016 के नोबेल शान्ति पुरस्कार समारोह में सम्मलित होने का सुअवसर भी प्राप्त हुआ। गौरतलब हो कि 2016 में ही फोर्ब्स पत्रिका के 30 अंडर 30 अंतरराष्ट्रीय सूची में शामिल होकर शरद विवेक सागर ने बिहार को गौरवान्वित होने का एक और अवसर दिया था।
महज 25 की उम्र में अनगिनत उपलब्धियों को पाकर शरद विवेक सागर नये बिहार के गठन में युवा भागीदारी सुनिश्चित करते हैं।