भाषा और साहित्य ऐसे क्षेत्र हैं जो अपने बेटों के दम से हमेशा जवां रहते हैं। इनको ऊँचाई देने की जिम्मेदारी भी युवा कन्धों पर होती है। जहाँ बात साहित्य की आती है, इसे साहित्यकारों की पहुँच की सीमा तक ही बाँध दिया जाता है। शायद इसके पीछे सोच होगी कि साहित्य आमजन की समझ से बाहर का विषय है। मगर अब युवा इस सोच की धुरी भी बदल रहे हैं। हमारे बिहार से निकले ऐसे ही दो युवाओं की बात आज करेंगे जिनमें से एक हिंदी तो दूजा इंग्लिश में साहित्य सेवा में है और पाठकों के बीच बेहद लोकप्रिय भी है। आइये पढ़ते हैं दो अलग-अलग भाषाओं के जरिये आमजन तक पहुँच बना रहे इन युवाओं की कहानी ‘नये बिहार के हीरो’ में-
नीलोत्पल मृणाल
नीलोत्पल मृणाल उन चंद युवाओं में शामिल हैं जिनके सामने परीक्षा में ऐसा प्रश्न आया, जिसका उत्तर खुद इनका नाम ही था। इनकी उपलब्धियों का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इनकी पहली ही पुस्तक ‘दी डार्क हॉर्स’ साहित्य अकादमी 2016 के युवा पुरस्कार से अलंकृत हुई। इतना ही नहीं, इस किताब की माँग ने इसके 7 संस्करण बाजार में ला दिए हैं। मृणाल जी का 25 दिसंबर 1984 में हुआ। जन्मस्थल बिहार का मुंगेर जिला है जबकि शिक्षा-दीक्षा झारखण्ड से हुई है। फिलवक्त सिविल सर्विसेज की तैयारी हेतु देश की राजधानी में निवासित हैं और हिंदी साहित्य में निरंतर सक्रीय हैं। नीलोत्पल जी की इन्टरनेट पर उपलब्ध कविताएँ भी काफी पसंद की जाती हैं।
निकिता सिंह
महज 25 की उम्र में 10 किताबें लिखने वाली निकिता सिंह बिहार की राजधानी पटना से हैं। 19 की उम्र में इनका पहला इंग्लिश नॉवेल ‘लव@फेसबुक’ आया था जो काफी लोकप्रिय हुआ। इसके बाद चल पड़ा सिलसिला इन्हें स्थापित लेखिका बनाने को काफी था। फॉर्मेसी से ग्रेजुएट हुई निकिता ग्रेपवाइन इंडिया में एडिटर भी हैं। ये 2013 में ‘लाइव इंडिया यंग एचीवर्स अवार्ड’ भी पा चुकी हैं। 6 अक्टूबर 1991 को पटना में जन्मीं निकिता सिंह की किताबें युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं और लगातार बेस्ट सेलर की सूची में अपना स्थान बनाते आयीं हैं। देश-विदेश के कई महाविद्यालयों में अपनी प्रस्तुति पेश कर सक्रियता कायम रखती हैं। ‘एवरी टाइम इट रेन्स’ नाम से आ रही इनकी अगली पुस्तक के लिए भी पाठकों में उत्साह देखने को मिल रहा है।