नई पीढ़ी की जिम्मेदारियों के साथ बिहार की विरासत सम्भाल रहे ‘आपन बिहार’ के मुखिया

वो बहुत अजीब सा लड़का है। देखने में सामान्य बारहवीं में पढ़ने वाला विद्यार्थी नज़र आता है, मगर चेहरे पर जो तेज है, उससे पता चलता है ये सिर्फ बारहवीं का सामान्य छात्र नहीं है। ये वो लड़का है जो अपनी मातृभूमि से दूर बैठे लाखों लोगों का सहारा है। जिसने 2 लाख से अधिक लोगों का विश्वास जीत लिया है, इस छोटी सी उम्र में।

मैं जब भी इस उम्र के बच्चों को पहले मोबाइल लिए, फेसबुक चलाते देखती तो सोचती कि वो अपना बचपन या यूँ कहें कि सबसे खास लम्हा बेवजह ही खो रहे। जबकि अब उन्हें देख वो चेहरा सामने आ जाता है, जिसने महज 13 की उम्र में छोटी ही सही, शुरुआत तो कर ही दी थी। मेरे जैसे जाने कितनों की सोच पर गहरा प्रभाव छोड़ चुके हैं हमारे टीम के मुखिया, मुजफ्फरपुर के लाल, बिहार की शान में एक और हीरा, अपनी उम्र का सही वजह से प्रतिनिधित्व करते अविनाश कुमार सिंह

हमारे यहाँ लोग कहते हैं अगर दूर तक जाना है तो शुरुआत सुबह करो। मतलब अगर आपकी मंजिल दूर है, बड़ी है, तो छोटी उम्र से ही प्रयास शुरू करना कारगर होता है।

नहीं जानती ये बात इस लड़के के जेहन में थी भी, या नहीं, मगर रास्ता इसने वही इख़्तियार किया है जो एक बड़ी मंजिल की ओर इशारा करता है। इसने न सिर्फ बिहार की सकरात्कमता को नई उड़ान दी, बल्कि अपनी उम्र के तमाम युवाओं को नई ऊर्जा भी दी है, नई पहचान भी दी है, एक नया मार्ग प्रशस्त किया है।

एक छोटे फेसबुक पेज को गाँव से हैंडल करते हुए, एक पेयेबल पोर्टल के रूप में स्थापित करना, दूर-दराज के प्रतिभाशाली लोगों को जोड़ एक टीम का रूप देना और बनाये रखना कोई आसान काम नहीं, और वो भी तब जब आपके ऊपर बोर्ड एग्जाम्स का दबाव भी हो। अगर आपने एक फेसबुक ग्रुप भी चलाया हो तो आपको पता होगा उसे ठीक तरह से मैनेज करना कितना मुश्किल है। मगर ये मुश्किल काम अविनाश हँसते-हँसाते करते हैं। पाँच सालों में पेज पर कभी चीप पोस्ट्स करके पब्लिक और फेक फॉलोवर्स बनाने की कोशिश नहीं की। किसी खबर को कवर तभी किया जब उसके बारे में जानकारी सही स्रोत से इकट्ठी हो पाई। इनकी प्रेरणा में ‘बड़े’ लोग नहीं, ‘अच्छे’ लोग हैं। इस उम्र में ये परिपक्व व् सकारात्मक सोच ही है जिसने देश के विभिन्न हिस्सों में बैठे टीम मेंबर्स से सही तालमेल बैठाने में इन्हें सफलता दिलाई, जिसकी तारीफ़ खुद दुनिया के प्रसिद्ध उद्यमी शरद विवेक सागर जी ने और आईपीएस शिवदीप लांडे जी ने की।

अविनाश के पास हर समसामयिक घटना से जुड़ी तमाम जानकारियाँ और उसे चर्चा में व्यक्त करते हुए सही शब्दों का चयन करने की क्षमता इनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों में से है।

आश्चर्य तो तब होता है जब ऐसी उपलब्धियों की किसीको जानकारी नहीं होती। क्या पब्लिसिटी के लिए कुछ भी कर गुजरने वाली इस दुनिया और पीढ़ी में कोई ऐसा भी है जिसे पब्लिसिटी नहीं, काम से वास्ता है, जिसके लिए क्वांटिटी पोस्ट्स नहीं, क्वालिटी पोस्ट्स मायने रखते हों!


अविनाश सिंह से हुई छोटी-छोटी मुलाकातें काफी कुछ सिखाने को काफी हैं। धीरे-धीरे अविनाश लेखनी में भी हाथ आजमा रहे हैं, जो वाकई सुखद है। आज अविनाश का जन्मदिन है। 17 साल के इस बालक को आपन बिहार के सभी सदस्य की तरफ से जन्मदिन की ढेरों बधाई! उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनायें! यूँ ही प्रेरणा बनते रहें आप, हमारे और अपनी पीढ़ी के! हँसते-मुस्कुराते हुए अपनी वास्तविक पहचान बनाए रहें!

नेहा नूपुर: पलकों के आसमान में नए रंग भरने की चाहत के साथ शब्दों के ताने-बाने गुनती हूँ, बुनती हूँ। In short, कवि हूँ मैं @जीवन के नूपुर और ब्लॉगर भी।