बिहार में क्रिकेट को पूर्ण मान्यता मिल गयी है। इसके साथ ही बिहार के क्रिकेटरों को रणजी जैसे बड़े मैचों में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा।
लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों को लागू करने के लिए बनी कमिटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर (सीओए) की तरफ से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की वेबसाइट पर नया संविधान अपलोड किया है। जिसमें बिहार सहित पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को पूर्ण मान्यता दी गयी है। वहीं विदर्भ, मुंबई, सौराष्ट्र व बड़ौदा से पूर्ण मान्यता का दर्जा छीन लिया गया है। कमेटी ने यह स्पष्ट किया है कि एक राज्य में पूर्ण मान्यता प्राप्त एक ही संघ होगा। इसके साथ ही अब बीसीसीआइ में मुंबई का वर्चस्व खत्म होगा। इस सूची में पहली बार बिहार का नाम शामिल किया गया है।
पूर्ण मान्यता मिलने के साथ ही बिहार के क्रिकेटरों का 16 वर्षों का वनवास खत्म हो जायेगा। दो पीढ़ियां पूर्ण मान्यता की आस में अपना कैरियर गंवा चुकी हैं। 2000 में झारखंड से बंटवारा होने के बाद अब तक बिहार के क्रिकेटर दूसरे राज्यों से खेलते है।