पटना में प्रकाशोत्सव की धूम मची हुई है। गुरु गोविंद सिहंजी महाराज के 350वीं जयंती की भव्य तैयारी हुई है। देश-विदेश से लाखों की संख्या में लोग पटना पहुंचे है।
हर-तरफ इस बात की चर्चा हो रही है कि 350वां प्रकाशोत्सव ऐतिहासिक होगा। वैसे प्रकाशोत्सव पटना में पहली बार नहीं हो रहा है। दरअसल किसी भी सिख गुरु साहिब का शताब्दी मनाने की परंपरा की शुरुआत तख्तश्री पटना साहिब से ही शुरू हुई। इसकी शुरुआत बात 28 जनवरी 1967 से शुरु हई, जब सिखों के अंतिम देहधारी गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का 300वां प्रकाश पर्व शताब्दी के रूप में मनाया गया था। इसी के बाद अन्य गुरु साहिबानों का शताब्दी मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई। लेकिन इस बार की बात कुछ अलग है। देश-विदेश से बड़ी संख्या में संगत आई है। पहली बार पटना साहिब की धरती पर आधा दर्जन स्थानों पर टेंटसिटी बना है। सड़क, गली, चौक-चौराहों को रंगीन रोशनी से रौशन किया गया है। अनेक वीवीआईपी का आगमन हो रहा है। प्रशासन की ओर से कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा गया है।
वही तख्तश्री पटना साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब भाई इकबाल सिंह का कहना है कि गैर-सिखों की भीड़ और गुरु महाराज के प्रति लगाव के साथ सिख परंपराओं का निवर्हन, वाकई एकता और भाईचारा की मिसाल पेश कर रहा है। बिहार के बाहर अन्य प्रदेशों और विदेशों में बिहार की जो गलत छवि थी, उसे इस 350वां प्रकाश पर्व ने पूरी तरह से धो डाला है।