पटना में गुरुगोविंद सिंह के 350वाँ प्रकाश पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाया गया। इस आयोजन को सफल बनाने का जिम्मा बिहार के चंद अधिकारियों के उपर था।
उनके कंधों पर आयोजन को सफल बनाने की जिम्मेवारी के साथ बिहार की बेहतर छवि भी प्रस्तुत करनी थी, जिसमें उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी।
इन अधिकारियों में सबसे पहला नाम बिहार के सिंघम यानि पटना के एएसपी मनु महाराज का नाम आता है तो दूसरा नाम पटना के जिलाधिकारी संजय अग्रवाल का है, जिनके प्रयास से प्रकाशोत्सव पर्व का विशाल आयोजन बेहतर तरीके से संभव हो सका।
इस भव्य आयोजन में तीन लाख से भी ज्यादा श्रद्धालु देश और विदेश से आए थे, जिनके सुरक्षा की जिम्मेवारी पटना के एसएसपी मनु महाराज पर थी तो प्रशासनिक व्यवस्था डीएम संजय अग्रवाल के जिम्मे थी।
इन दोनों की गिनती नीतीश कुमार के चहेते अधिकारियों में होती है। पटना में कानून व्यवस्था की स्थिति कम बोलने व बेहद शालीन ढंग से रहने वाले मनु महाराज के हाथों में देकर नीतीश कुमार निश्चिंत थे। अपराधियों के लिए खौफनाक दिखने वाले मनु महाराज नीतीश कुमार के अरमानों पर खरे उतरे।
गांधी मैदान में आयोजित समागम को जब नीतीश कुमार संबोधित कर रहे थे तब उन्होंने बेहतर काम करने वाले उन तमाम अधिकारियों का जिक्र किया जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिक निभाई।
इस भव्य आयोजन में तीन लाख से भी ज्यादा श्रद्धालु देश और विदेश से आए थे, जिनके सुरक्षा की जिम्मेवारी पटना के एसएसपी मनु महाराज पर थी तो प्रशासनिक व्यवस्था डीएम संजय अग्रवाल के जिम्मे थी।
इन दोनों की गिनती नीतीश कुमार के चहेते अधिकारियों में होती है। पटना में कानून व्यवस्था की स्थिति कम बोलने व बेहद शालीन ढंग से रहने वाले मनु महाराज के हाथों में देकर नीतीश कुमार निश्चिंत थे। अपराधियों के लिए खौफनाक दिखने वाले मनु महाराज नीतीश कुमार के अरमानों पर खरे उतरे।
गांधी मैदान में आयोजित समागम को जब नीतीश कुमार संबोधित कर रहे थे तब उन्होंने बेहतर काम करने वाले उन तमाम अधिकारियों का जिक्र किया जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिक निभाई।
नीतीश कुमार ने अपने इन दो चहेते अफसरों की तारीफ प्रधानमंत्री मोदी के सामने भी की। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने इसे सफल बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की है। इन्हीं की बदौलत इतनी अच्छी व्यवस्था और इस भव्य आयोजन को अंजाम दिया गया।
दरअसल, प्रकाशोत्सव में सुरक्षा के लिए नौ हजार से ज्यादा जवान लगाए गए थे। मनु महाराज लगातार इन जवानों को निर्देश दे रहे थे, और खुद भी मुस्तैदी के साथ मॉनिटरिंग कर रहे थे। साथ ही सभी को ट्रेनिंग भी दे रहे थे।