आनेवाले समय में पूर्वी बिहार बिजली उत्पादन का हब बनेगा। पूर्वी बिहार के बांका, कजरा और पीरपैंती में नया बिजली घर बनाने की पहल एक बार फिर शुरू हुई है। कहलगांव में एनटीपीसी की इकाई से बिजली का उत्पादन हो रहा है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो आनेवाले पांच-छह साल में बिहार में कुल खपत होनेवाली बिजली का अधिकांश उत्पादन पूर्वी बिहार में होगा। पूर्वी बिहार की सीमा के पास ही झारखंड के गोड्डा में बिजली घर प्रस्तावित है और बाढ़ में एनटीपीसी का बिजलीघर है. राज्य में बिजली की खपत लगातार बढ़ रही है। इस साल के अंत तक बिजली की मांग 4500 मेगावाट तक हो जायेगी। राज्य में बिजली की खपत 168 यूनिट से बढ़कर 203 यूनिट प्रति व्यक्ति हो गया है। राज्य को रोजाना 1000 मेगावाट से अधिक बिजली बाजार से खरीदनी पड़ रही है। राज्य बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। राज्य में अगले पांच साल में 10 हजार मेगावाट बिजली की जरूरत होने का अनुमान है।
एक समय बिहार की गिनती जीरो बिजली उत्पादन वाला राज्यों में था। हालांकि अब स्थिति बदली है। राज्य में चार जो नये बिजली घर प्रस्तावित हैं उनमें चौसा को छोड़ सभी पूर्व बिहार में स्थापित होंगे। पूर्वी बिहार के कहलगांव में पहले से ही एनटीपीसी का 2340 मेगावाट क्षमता का बिजली घर है। बांका में 4000 मेगावाट का अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट लगेगा। बताया जा रहा है कि कजरा और पीरपैंती के लिए एनटीपीसी और एनएचपीसी से फिर से एमओयू होगा। दोनों कंपनियों से 11 फरवरी, 2014 को एमओयू हुआ था। बिहार ने इन बिजली घरों के लिए गोड्डा के पोखरिया से कोल ब्लॉक मांगा है।
ऊर्जा विभाग के एक अधिकारी के अनुसार कजरा, पीरपैंती और बांका पावर प्लांट के लिए फिर से कवायद शुरू हुयी है। बांका के ककवारा में 4000 मेगावाट क्षमता का अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट प्रस्तावित है। इससे बिहार को 2000 मेगावाट बिजली मिलेगी। यह 2022 के बाद का प्रोजेक्ट है। पावर प्लांट के लिए बांका के पास ककवारा गांव में 2400 एकड़ जमीन चिह्वित की गयी है। इस पावर प्लांट को सुल्तानगंज से गंगा नदी का पानी मिलेगा। बिहार सरकार ने इस परियोजना के लिए 20 करोड़ का राशि भी जारी हो गयी है।