बिहारी खाना-खजाना
बिहार में खाने की समृद्ध परम्परा है। हमारे बुजुर्गों ने सिखाया है, बरसात आने से पहले घर में पर्याप्त चीजें बना और इकट्ठी कर लीं जानी चाहिए ताकि बरसात के फीके मौसम में भी खाने का स्वाद बना रहे। बड़े-बड़े शहरों की छोड़ो, हमारे गाँव-देहात में खाने को प्रिजर्व करने की जो टेक्निक है, बेमिशाल है। इसी प्रक्रिया के तहत सब्जियों का सुखौता, पापड़, चरौरी, चिप्स, अदौरी और भी बहुत कुछ आता है। हम किसी पार्ट को व्यर्थ नहीं जाने देते। यहाँ गोबी के फूल से ले कर उसकी डंडी-पत्ती हर चीज़ से कोई न कोई व्यंजन निकल पड़ता है। चना से तो इतनी सारी चीजें बना डालती हैं हमारी माँएं कि आप समझते रह जाओगे ये कैसी-कैसी डिश परोसी जा रही है। चने की दाल, टोडा, चटनी, पकौड़े, घुघनी, सब्जी, साग और न जाने क्या-क्या। अब इस से पहले कि आप और सोचने लग जाओ और घर में कुछ चने का बनाने की प्लानिंग शुरू करो चलो बिहार से कुछ मशहूर डिशेज परोसते हैं आज आपकी वेब थाली में।
शुरू करने से पहले भगवान् का नाम जरुर ले लीजिये :-
1. अचार :- ओह! लिखते समय भी मुँह में पानी भर आया। आप भी पढ़ के चटखारे तो जरुर लेने लगोगे। अचार होता ही है इतना स्वादिष्ट। आपको बिहार में कई तरह के अचार का स्वाद मिल सकता है :- आम, आंवला, अमड़ा, नीम्बू, कटहल, सूरन, मिर्च, पपीता, गोबी, मूली, सेम। आहा! खाने की हर थाली में एक अचार हो तो बस और क्या चाहिए।
2. अदौरी :- बरसात शुरू होने से पहले, आलू को संरक्षित करने की दृष्टि से बनाया गया ये खास डिश सब्जी और दाल, दोनों रूप में इस्तेमाल किया जाता है। विभिन्न मसालों का प्रयोग इसे और बेहतरीन बना देता है। गाँवों में आज भी खूब बनाया-खाया जाता है “अदौरी”।
3. चिप्स-चरौरी-तिसौरी-पापड़ :- शहरी लोग बाजार से खरीद कर खाते हैं, और हम ठेंठ बिहारियों के यहाँ ये घर-घर बनाया जाता है। उत्सव सा माहौल होता है जब महिलाएं इन्हें बनाने चलती हैं। गाँवों में तो गीत गाते हुए बनाया जाता है। एक-एक चिप्स-चरौरी-तिसौरी-पापड़ में घर का स्वाद ले कर बच्चे दूर होस्टल जाते हैं। साधारण खाने पर भी ये स्वाद का तड़का ना चढ़ा दे तो कहना। मुझे भी पसंद है चिप्स और साबूदाने का पापड़।
4. लड्डू :- भिन्न-भिन्न तरह के लड्डू बनाये जाते हैं। बूंदी के लड्डू, बेसन के लड्डू, तिल के लड्डू, गुड़ के लड्डू और सबसे हट के मेथी और सोंठ के लड्डू। सिर्फ स्वाद नहीं, स्वाथ्य का भी बराबर ध्यान रखा जाता है। ठंड के मौसम में फायदेमंद ये लड्डू बच्चों की स्पेशल डिमांड पर बना कर माँएं उन्हें जरुर भिजवाती हैं, पूरे याद से।
5. चुरा-दही :- अन्य जगहों पर मकर संक्रांति को खाया जाने वाला ये वो डिश है जो बिहार के कई जिलों के संस्कार का हिस्सा है। हर छोटे-बड़े समारोह में इसका होना अनिवार्य है। और अगर दही का असल मज़ा लेना हो तो चले जाईये उत्तर बिहार के किसी जिले में, आनन्द से खाते-खिलाते हैं, दही-चुरा।
6. खुरमा :- छेना से बनने वाली कई सारी मिठाइयों में से एक है :- खुरमा, जो बिहार में सबसे ज्यादा प्रचलित है। खास बात है, इसे व्रती भी खा सकते हैं, वजह है इसमें शुद्ध छेना और चीनी का ही इस्तेमाल होता है। बिहार के भोजपुर (आरा) जिला के उदवंतनगर का खुरमा अत्यंत मशहूर है, कभी SH आरा-गढ़हनी के रास्ते गुजरें तो स्वाद जरुर लें।
7. खाजा संग गाजा(बेलग्रामी) :- बिहार में होने वाला कोई भी शादी-व्याह तब तक अधूरा है जब तक राम-लक्ष्मण के नाम से मशहूर खाजा और बेलग्रामी ना मिले। ये यहाँ रिवाजों का एक हिस्सा भी हैं। बक्सर के मलियाबाग की बेलग्रामी और नालंदा के सिलाओ का खाजा … आहा !! कम ही खाएं, पेट का ध्यान रखते हुए।
8. सोनपापड़ी :- यूँ तो पुरे बिहार में खाया और पाया जाता है, लेकिन बक्सर की शुद्ध घी वाली सोनपापड़ी के क्या कहने… बस मुंह में रखो और घुल जाये!! यह मिठाई हम सब के बचपन की यादों में रही है। शायद आपको भी याद हो जब कुछ पुरानी कॉपी देने पर उस साईकिल वाले आदमी से हवा मिठाई या सोनपापड़ी मिलती थी। हमारी तो सारी कॉपी इसी के नाम हुआ करती थी।
9. तिलकुट और अनर्सा :- गुड़ और चीनी दोनों से अलग अलग फ्लेवर में बनने वाला तिलकुट और अनर्सा मकर-संक्रांति के पहले से ही बाजार में छाया रहता है। फायदेमंद तो है ही, स्वादिष्ट भी है। हमारे यहाँ स्नैक्स के तौर पर इस्तेमाल होने वाले घर में उपलब्ध खाद्द सामग्रियों में से एक। गया की तिलकुट… नाम तो सुने ही होंगे!
10. तिलवा लाई ढूंढा :- ठेंठ बिहारी स्नैक्स। गाँव-घर में बच्चे ठंढे की हर शाम को तिलवा या ढूंढा या लाई खाते हुए मिल जायेंगे। अलग-अलग जगह पर इसे अलग नाम से जानते हैं। लेकिन बात तो वही है न। चुरा या भूंजा को गुड़ के साथ बाँध कर बनाया जाता है। खाने में मसक्कत करनी पड़ती है लेकिन स्वाद के लिए तो सब जायज है गुरु!!
11. मुरब्बा :- बिहार के किसी गाँव में जाईये। स्वागत में अक्सर मुरब्बा ही पेश किया जाता है। भातुआपाग का मुरब्बा गर्मियों के लिए और आंवला का मुरब्बा सर्दियों के लिए।
12. बरी-फुलौरी-मोछी :- कढ़ी के अन्दर जब ये सब डाले जाए जाते हैं तो स्वाद दुगना हो जाना लाजमी है। एक बार फिर से बता दूँ हर खास मौके पर ये घर में बनाया ही जाता है।
13. निमकी-ठेकुआ :- ये उन स्नैक्स में आता है जो हर घर, हर मौसम बनाया-खाया जाता है, बिहार में। हर स्टेशन पर बिकता हुआ मिल जायेगा निमकी, और वो भी स्पेशल चटनी या अचार के साथ। और ठेकुआ के क्या कहने! छठ पूजा में ठेकुआ प्रधान होता है। स्वादिष्ट मीठे ठेकुए का सोच कर बस खाने का मन हो गया by god!
14. पिट्ठा :- पिट्ठा तो हर मौसम में बनाया- खाया जा सकता है मगर पूस का पिट्ठा खास है। पूस महीने में बिहार के हर घर में कम से कम एक बार पिट्ठा बनने की परंपरा है। यह हमारा देसी मोमो है। भरवां के तौर पर दाल, आलू, खोया, तिसी या ऐसे ही अलग-अलग चीजें इस्तेमाल में लायीं जाती हैं।
15. लिट्टी चोखा :- बिहार का नाम लेते ही जेहन में सर्वप्रथम इसी की तस्वीर आती है। बुजुर्गों का कहना है, दूर-देस जाना हो तो रास्ते के लिए यही बेस्ट है। बिहार ही नहीं, अब तो विदेशों में भी मशहूर हो चला है। और इसे खाने का मजा तो बस ना ही पूछो। मतलब हर मौसम सबकी पसंद… नॉन अदर देन लिट्टी-चोखा। पहले के भोज से नदारत ये आइटम अब हर छोटे-बड़े- भोज का आवश्यक हिस्सा है। बस इतना समझ लो पॉपुलैरिटी बढ़ रही है लिट्टी-चोखा की। मान भी जाईये जनाब, हमारा यह ठेंठ देहाती कहलाने वाला खाना अब ऑन डिमांड रहने लगा है।
©नेहा नूपुर