प्रकाशोत्सव का सबसे बेहतर और सफल आयोजन करके बिहार दुनिया भर में अपना सिक्का मनवा चुका है। साथ में बोधगया में हो रहे कालचक्र पूजा भी बिहार को विदेशों के दिल में जगह दे रहा है। वही पंजाब में ‘भईया’ शब्द अब सम्मान का द्योतक हो गया है और वहां मजदूरी में जुटे बिहार के ‘भईया’ की चाल में थोड़ी गमक और थोड़ी अकड़ आ गई है।
अब बारी है एक नए और उससे भी वृहद आयोजन की जो अप्रैल में शुरू होकर साल भर जारी रहेगा। इसमें भी प्रकाशोत्सव की तरह पूरा भारत ही नहीं दुनिया भर के लोग शामिल होंगे। यह आयोजन है 1917 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पटना आगमन और चम्पारण सत्याग्रह की शताब्दी का।
इसका एलान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 5 जनवरी को प्रकाशोत्सव के दौरान पहले ही कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि यह आयोजन प्रकाशोत्सव से भी बड़े पैमाने और इससे भी ज्यादा उत्साह के साथ किया जाएगा। इसके लिए वे एक साल से भी ज्यादा समय से तैयारियां कर रहे हैं। इन तैयारियों की देखरेख कर तो मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह रहे हैं लेकिन अनेक समीक्षा बैठकों में खुद नीतीश कुमार बैठते हैं।
इस समारोह की शुरुआत 8 अप्रैल को होगी। इस दिन इंटरनेशनल कनवेंशन सेंटर में बापू पर एक सेमिनार का आयोजन किया जाएगा जिसमें देश और विदेश के नामी-गिरामी विद्वान भाग लेंगे। कनवेंशन सेंटर अभी बन रहा है लेकिन काम की रफ्तार देखते हुए यह तय है कि यह अप्रैल से पहले तैयार हो जाएगा। 18 अप्रैल को पूरे बिहार में सार्वजनिक अवकाश रहेगा। वैसे, बापू के जीवन दर्शन पर सेमिनारों का आयोजन पूरे राज्य में होगा। इसका इंतजाम शिक्षा विभाग कर रहा है।
पटना में बन रहे कनवेंशन सेंटर के अलावा बेतिया और मोतिहारी में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने का काम भी बहुत बड़े पैमाने पर हो रहा है। उल्लेखनीय है कि यहीं से बापू ने सत्याग्रह की शुरुआत की थी। पटना और चम्पारण में गांधी के जीवन को दर्शाने वाले लेज़र शो भी किए जाएंगे। कला, संस्कृति एवं युवा मामलों का विभाग विभन्न स्थानों पर म्यूजिकल एवं कल्चरल कार्यक्रमों का आयोजन भी करेगा। इतना ही नहीं राज्य के नौ प्रशासनिक डिवीज़नों में ऐसी बसें भी चलाई जाएंगी जिनमें गांधी जी से जुड़े वीडियो और किताबें उपलब्ध होंगी।
इसके लिए बापू-सर्किट में वॉक्स यानी सामूहिक पदयात्रा जैसे कार्यक्रमों का आयोजन भी शताब्दी वर्ष के दौरान किया जाएगा।