भारतीय रेल में यात्री सिर्फ लेट लतीफी से ही नहीं बल्कि कई और गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं। भारतीय रेल में यात्रियों की सुरक्षा पर शुरू से ही एक बड़ा प्रश्नचिन्ह रहा है।
ट्रेन का सफर आजकल कुछ ज्यादा महंगा साबित हो रहा है। जी नहीं, हम कैशलेश इकोनॉमी की मार या बढ़ते टिकट दरों की बात नहीं कर रहे। भारतीय रेल में आजकल खुलेआम रेलवे के वेंडरों द्वारा 15 रूपये के पानी का बोतल 20 रूपये तथा अन्य चीजें भी ऐसे ही बढ़े दरों पर खुलेआम बेचीं जा रही हैं। अगर आपने बढ़े मूल्य पर पानी लेने से विरोध किया तो प्यास से हलकान होना पड़ सकता है। देखिये कैसे वीडियो में अपनी ज़िद पर अड़ा है ये वेंडर-
जहाँ एक तरफ रेलवे प्रशासन इस बात को गंभीरता से लेता नहीं, वहीं यात्रियों के द्वारा ट्वीट करने पर भी कुछ खास असर नहीं होता। एक दिन सबकुछ ठीक रहता है, पुनः कर्मचारी अपने ढर्र पर आ ही जाते हैं।
इससे इतर आजकल रेलगाड़ियों में भीख मांगने वाले भिखमंगों की संख्या में भी ज़बरदस्त बढ़ावा हुआ है। कैशलेस के दौर में तो वे जबरजस्ती पर उतर आए हैं।पैसे न देने पर पैर पकड़ के लिपट जाना ,रास्ता रोकना ,जबरजस्ती मनमाने पैसे वसूलना इत्यादि अपने चरम सीमा पर है। यात्री अपने गंतव्य तक पहुँचने की आस में इस प्रकार की समस्याओं से प्रतिदिन दो चार हो रहे हैं।
इनसब के अलावा एक और सामान्य घटना भी घटित होती है। नीचे संलग्न वीडियो में देखिए अमूमन जेनेरल डब्बों में आ रहे छात्रों और श्रमिकों से कितने हक़ से पैसे मांगते हैं ये। न जाने कब तक इनकी कमाई का एकमात्र श्रोत यात्री रहेंगे। न जाने कब तक इनका जेब खर्च उठाने के लिए ये मजदूर विभिन्न मानसिक यातनाओं को सहते रहेंगे। भीख मांगने से भी बढ़कर ये लोग इस तरह की लूटपाट मचाते हैं कि इन्हें आता देख पूरे डब्बे में सन्नाटा पसर जाता है। जी हाँ! हम ट्रांसजेंडर्स की ही बात कर रहे हैं।
प्रशासन आखिर कब तक मूक बधिर बना देखता रहेगा? कब तक यात्री इन समस्याओं को मजबूरी बना ढ़ोते रहेंगे? इसपर कार्यवाई प्रशासन करेगी या यात्रियों को खुद कदम उठाने होंगे? जब तक इन सवालों का जवाब नहीं मिल सकता कैसे हो पायेगी यात्रियों की ‘हैप्पी जर्नी’!
आलेख एवं वीडियो- विवेक दीप पाठक (जिला प्रवक्ता, ऑल इंडिया रिपोर्टर्स असोसिएशन, ‘भोजपुर’)