नोटबंदी के इस दौर आप मस्ती करना तो नही छोड़ सकते ना। दोस्तों के साथ चाट, गोलगप्पा, चाइनीज फ़ूड या कुछ और भी तो नहीं छोड़ सकते तो लीजिये पटना भी आपके लिए इसका पुख्ता इंजामात कर लिया है, बस आप पेटीएम करो।
आज कोई दूध वाला, सब्जी वाला, धोबी, छोटे-छोटे दुकानदार भी कैशलेस पेमेंट के बारे में जानने को आतुर दिख रहे हैं।
इस बारे में बोरिंग रोड में सब्जी बेचने वाले रवि कुमार ने कहा कि हम तो अब पेटीएम सीख गए हैं। अब कोई चक्कर ही नहीं। आओ पेटीएम करो सब्जी ले जाओ। वहीं अपनी किराने की छोटी-सी दुकान चलाने वाले ध्रुव कुमार ने कहा कि अब धीरे-धीरे इसी मोड में आना पड़ेगा। ग्राहक आकर पूछ रहे हैं कि पेटीएम से पेमेंट लेना सीख लीजिए, लगता है अब सीखना ही होगा।
गोलगप्पे खाइए और पेटीएम से पेमेंट दीजिए
पटना स्थित मगध महिला कॉलेज के गेट पर सत्यम नामक का एक युवक गोलगप्पे का ठेला लगाता है और वह अपने ग्राहकों को गोलगप्पे खिलाने के बदले भुगतान पेटीएम ऐप से लेता है। अपने ठेले में गोलगप्पे को खाने के बदले पेमेंट देने के लिए उसने पेटीएम वॉलेट का कोड लगा रखा है।
एक साधारण किसान का बेटे और 12वीं पास सत्यम आगे की पढ़ाई करना चाहता है और अगले साल ग्रेजुएशन में एडमिशन लेने की तैयारी कर रहे हैं। सत्यम का कहना है कि उसने पेटीएम वॉलेट से पेमेंट ऑप्शन इसलिए चुना क्योंकि इससे न तो छुट्टे पैसे की चिकचिक होती है और न ही ठेले पर नगदी रखनी पड़ती है।
उसने बताया कि ठेले पर गोलगप्पे खाने के लिए आने वाली कॉलेज की छात्राएं और अन्य लोग अपने स्मार्टफोन में मौजूद पेटीएम वॉलेट के जरिये पेमेंट कर देते हैं। सत्यम कहते हैं कि यहां की लड़कियों में पेटीएम से पेमेंट का बहुत क्रेज है।
गोलगप्पे खाने वालों को यहां कम से कम 20 रुपये का पेमेंट करना पड़ता है। सत्यम को देखकर अब गांधी मैदान इलाके में कुछ अन्य ठेले वाले भी पेटीएम पेमेंट सेवा दे रहे हैं।
पटना में तेजी से बढ़ रहे हैं पेटीएम के यूजर्स
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 500 और 1000 रुपये के नोट बंद होने के बाद देश के सबसे बड़े ऑनलाइन पेमेंट वॉलेट में शुमार पेटीएम के यूज़र में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। कैशलेस पेटीएम! एक ऐसा नाम जो आजकल बिहार में भी करीब हर किसी की ज़ुबान पर चढ़ा हुआ है और सबसे काम का साबित हो रहा है।