नीतीश कैबिनेट ने उच्च न्यायिक सेवा जिला न्यायाधीश और बिहार असैनिक सेवा, न्याय शाखा के पदों पर सीधी नियुक्ति नियमावली को संशोधित किया है. साथ ही सिविल सेवा मे महिलाओं के 35 फीसदी आरक्षण को न्यायिक सेवा में भी लागू कर दिया गया है.
नए प्रावधान के मुताबिक सीधी नियुक्ति मे अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए 21 फीसदी, पिछड़ा वर्ग के लिए 12 फीसदी, अनुसूचित जाति के लिए 16 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए 1 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है.
नई व्यवस्था में एससी और एसटी का आरक्षण तो पूर्ववत रहेगा लेकिन अति पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ा कर 21 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके साथ ही पिछड़ा वर्ग को भी 12 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। नई व्यवस्था सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा अधिसूचना जारी करने की तिथि से प्रभावी होगी। सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव डी.एस.गंगवार और कैबिनेट विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बताया कि अनारक्षित और आरक्षित दोनों श्रेणियों में क्षैतिज रूप से (आरक्षण के भीतर आरक्षण) महिलाओं को 35 प्रतिशत और अस्थिजनित निश:क्त को 1 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा।
हाईकोर्ट से भी मिल चुकी है मंजूरी
सरकार ने मामला कैबिनेट में लाने से पहले हाईकोर्ट और बीपीएससी के पास भेजा था। इसे दोनों संस्थाओं ने सहमति दे दी है। अपर जिला न्यायाधीश और मुंसिफ मजिस्ट्रेट के 1075 पदों भर्ती में नई आरक्षण व्यवस्था लागू करने का रास्ता साफ हो गया है। कैबिनेट ने बिहार उच्च न्यायिक सेवा (संशोधन) नियमावली 2016 और बिहार असैनिक सेवा (न्याय शाखा) भर्ती संशोधन नियमावली 2016 में संशोधन कर दिया है।
कैबिनेट की बैठक में कुल 14 एजेंडो पर मुहर लगी. इसके अलावा, सूबे मे उद्योग के बढ़ावा देने के लिए बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन अधिनियम 2016 के तहत राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद का गठन करने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है.
पर्षद का अध्यक्ष विकास आयुक्त को बनाया गया है. यह पर्षद 2.5 करोड़ रुपए के निवेश के लिए विकास आयुक्त को शक्ति देगा वहीं 10 करोड़ रुपए की रेखा उद्योग विभाग मंत्री के लिए रखी गई है.
10 से 20 करोड़ की राशि के लिए वित्त और उद्योग मंत्री को संयुक्त रुप से निर्णय लेंगे और इसके उपर की राशि की निवेश के लिए कैबिनेट की मंजूरी का प्रावधान किया गया है.