प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नोटबंदी के फैसले के बाद से देशभर के सभी बैंक कर्मियों पर काम का दुगना दबाव पड़ गया है, बैंकों में लंबी-लंबी लाइन है और जनसमूह इतना कि आम लोगों के साथ-साथ स्वयं कर्मचारी भी परेशान हैं। इन परिस्थितियों में कर्मचारियों पर आए दिन आम जनता का गुस्सा फूट रहा है पर हमें उन सभी कर्मचारियों की सराहना करनी होगी जो इस अफ़रा-तफ़री के माहौल में भी लोगों की सेवा में लगे हैं। सेवा की ऐसी ही एक कहानी बिहार के खगड़िया, इलाहाबाद बैंक की महिला कर्मी कंचन प्रभा की भी है, जो अपनी ड्यूटी निभाती हैं, अकेले नहीं, अपनी 7 महीने की बच्ची के साथ।
कंचन रोज़ सुबह अपनी सात माह की प्यारी बेटी पंखुड़ी को लेकर बैंक आती हैं और नोट बदलने के साथ ही बैंक के अन्य कामों को भी करती हैं। कंचन एक बैंक कर्मचारी के साथ-साथ माँ होने का फ़र्ज़ भी बखूबी निभाती हैं, वो पंखुड़ी के लिए दूध और अन्य सारी सामग्रियां अपने साथ लाती हैं ताकि उनकी बच्ची को कोई तकलीफ़ ना हो। ब्रेक के समय वो अपनी लाडली बिटिया को दुलार और प्यार भी कर लेती हैं। कंचन कहती हैं कि वो सबुह 8 बजे से ही बैंक आने की तैयारी में लग जाती हैं और बैंक आकर अपने दायित्व को निभाती हैं।
कंचन के पति प्रभात कुमार, मुंगेर में रहते हैं, वो व्यवहार न्यायालय में एपीओ हैं। पत्नी के हौसले और जज़्बे पर उन्हें भी गर्व है। कंचन के सारे सहकर्मी उनको इज़्ज़त की नज़र से देखते हैं और उनपर गर्व करते हैं, बैंक के शाखा प्रबंधक सुमन कुमार सिन्हा ने कहा कि कंचन जैसी कर्मचारी पर उन्हें फख्र है। वो कहते हैं कि यह समय चुनौतियों भरा है, हर कर्मचारी पूरी लगन से आम लोगों की मदद में लगा है, ऐसे में कंचन की कहानी हर बैंकर के लिए प्रेरणास्रोत है।