कल बिहार से विदा लेंगे बिहारी सिंघम शिवदीप लांडे, लोग हुए भावुक

बिहार में अपराधियों की नाक में दम करने वाले 2006 बैच के आइपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे 3 साल के लिए महाराष्ट्र जा रहे है. अब बिहार में रियल लाइफ के सिंघम शिवदीप लांडे का खौफ नहीं दिखेगा. लड़कियों के बीच इनका क्रेज हीरो जैसा था. उन्हें लड़कियों के हजारों लव मैसेज मिलते थे. बिहार सरकार ने महाराष्ट्र में उनकी प्रतिनियुक्ति को मंजूर कर लिया है. शिवदीप गुरुवार यानि कल  पटना से मुंबई के लिए निकलेंगे.

बिहार में खाकी वर्दी में रियल सिंघम नाम से चर्चित आईपीएस शिवदीप लांडे महाराष्ट्र में सेवा देने जा रहे हैं. इसकी चर्चा मात्र से अपराधियों में खुशी है तो लड़कियों में उदासी का माहौल है. विदित हो कि अपराधियों पर लगाम लगाने वाला वर्दी वाले इस हीरो के पीछे लड़कियां दीवानी रही हैं. उन्हें लड़कियां लव मैसेज भेजती रहीं हैं, हालांकि वे शादीशुदा है. इनके जाने से पुरे बिहार के लोग उदास है वही आज इनके टीम यानि एसटीएफ के सदस्य “अपना बिहार” से बात करते-करते भावुक हो गए. उनका कहना था कि शायद ही ऐसे साहब से अब आएंगे.

शिवदीप लांडे ने अपना बिहार से कहा कि यहां के युवाओं में काम करने का जो जज्बा है वह किसी और प्रदेश में देखने को नहीं मिलता. मुझे जो काम दिया गया उसे मैंने पूरी ईमानदारी से पूरा करने का प्रयास किया. मेरी कोशिश थी कि जो कोई मेरे पास आए उसे पूरा न्याय मिले.

 

गौरतलब हो कि बेहद कड़क और अपराधियों के नंबर वन दुश्मन के रूप में जाने पहचाने गए अधिकारी हैं. शिवदीप ने पटना में अपने खास अंदाज में काम कर अपराधियों पर नकेल कसी. इसी कारण उन्हें ‘सिंघम’ के नाम से भी बुलाया जाने लगा. उन्होंने रोहतास में अवैध खनन के कारोबार को ध्वस्त कर दिया तथा मुंगेर, अररिया व पूर्णिया में भी अपराधियों के नाक में दम कर दिए. शिवदीप लांडे का नाम देश के टॉप टेन ईमानदार ऑफिसर के लिस्ट में हैं. शिवदीप अपने पेमेंट के 60% हिस्सा एनजीओ को दान में देते हैं.

 

शिवदीप लांडे अपने ऑफिसियल फेसबुक आईडी पर भी लिखा… 

‘बिहार’ ये महज़ एक राज्य का नाम नहीं है मेरे लिए पर मेरे जीवन का एक सबसे बड़ा और प्रिय अंश है। हम कहाँ और किसके यहाँ पैदा हो ये हमारे वश में नहीं, हमारा नाम भी हमारे होश के पहले तय कर दिया जाता है। बचपन का पहला समझ आने पे हम देश, राज्य, धर्म और विश्वाशों के बीच में खुद को पाते हैं।

बचपन से ही मुझे कुछ अलग हट कर करने का जुनून था। अत्यंत आभाव था घर में पर वो मजबूरियाँ भी कभी मेरे पैरों की बेरियाँ बनने की सफलता नहीं पा सकी। महाराष्ट के एक प्रसिद्ध कॉलेज में प्रोफेसर की नौकरी और फिर I.R.S. का पदभार भी मुझे बहुत दिनों तक रोक नहीं पाया। 2006 में I.P.S. की सफलता और फिर बिहार को बतौर राज्य मिलना मेरे जीवन का लक्ष्य तय करने वाला था।

बिहार ने मुझे इन आठ वर्षों के नियुक्ति में मुझे बहुत सारे याद संजोने को दिया है। मुंगेर से तबादले के बाद 6 k.m. तक फूलों से विदा करना, भीषण ठण्ड में पटना से मेरे तबादला में लोगो का भूख हड़ताल, अररिया से तबादले पे मुझे 48 घंटों तक लोगो ने मुझे जिला से बाहर न जाने दिया, रोहतास में पत्थर माफियों के खिलाफ मेरे मुहीम में सबका मेरा साथ और अनेकों मौकों पर सबका मेरे साथ खड़ा होना शायद हमेशा मेरे दिल में रहेगा। अनेकों बार मुझपे जानलेवा हमले हुए लेकिन फिर भी अगर मुझे बिहार के रक्षा में अपनी जान भी देनी होती तो शायद बहुत कम होता।

मेरी नियुक्ति जहाँ भी रही मुझे लोगों ने अपनाया है। मैं अपने अभिवावक तुल्य मेरे सीनियर्स, मीडिया के भाई, मेरे साथ काम कर रहे मेरे मित्र और मेरे सम्पूर्ण परिवार बिहार की जनता का मैं पुरे दिल से धन्यवाद देता हूं। मीडिया के भाइयों ने कभी मुझे ‘दबंग’, ‘सिंघम’, ‘रोबिन हुड’ और न जाने कितने उपनाम दिए पर मुझे ख़ुशी है कि मेरे मित्रों ने मुझे मेरे मेरे ‘शिवदीप’ नाम से बुलाना ज्यादा पसंद किया है। मैं हमेशा आपका अपना शिवदीप ही रहना चाहता हूँ।

मेरा प्रतिनियुकी आज अगले तीन वर्षों के लिए महाराष्ट हुआ है। जब मैंने पुलिस सर्विश को अपनाया तो फिर केंद्र सरकार के आह्वाहन पे मुझे कहीं भी अपना फ़र्ज़ को निभाना होगा। मैं जन्म से शायद महाराष्ट का हूँ पर अपने कर्म और मन से पूरा बिहारी हूँ। बिहार की शान को बढ़ाना ही मेरा शौभाग्य होगा।

जय हिंद।।

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