नाम- प्रवीण कुमार वर्मा, उम्र- 13 October 2016 को हो गयी 21 की, रंग श्यामल। ये बायोडाटा किसी गुमशुदा शख़्स का नहीं वरन् उसका है जो आपके लिए जी रहा है और आज अपना जन्मदिन मना रहा है।
कुजापी, गया जिले के मूलनिवासी प्रवीण को लोग प्रेम से पीके भी कहते हैं। 21 के प्रवीण अपनी इस छोटी सी उम्र में कई बड़े कार्य कर चुके हैं। अंतर्राष्ट्रीय शहर ‘गया’ और ‘बोधगया’ की तमाम खबरें और तस्वीरें आप तक लाते हैं।
बिहार के दो बड़े पेज के अभिन्न अंग हैं। इनके परिचय में ये कहना अत्यंत आवश्यक है कि ये बालक ‘Gaya Sight – गया दर्शन’ का मुखिया और ‘अपना बिहार’ का सरपंच है।
फ़िलहाल स्नातक के छात्र प्रवीण कुमार अपनी कार्यकुशलता हर क्षेत्र में दिखाते रहे हैं। इनकी तस्वीरों में गया की झाकियाँ दिखती हैं, फोटो डिज़ाइन भी कर लेते हैं, वेबसाइट की बारीकियाँ भी जानते हैं।
कुल मिलाकर आपके सामने तकनीकी रहने वाले प्रवीण सामान्य जीवन में एक ट्यूटर हैं।
शिक्षण और अध्ययन के बीच उचित तालमेल बैठाते हुए प्रवीण अपने फॉलोवर्स के लिए भी हमेशा तत्पर रहते हैं। अभी हाल ही में बिहार के एक बड़े शहर ‘गया’ एवम् ‘बोधगया’ को आपके सामने लाइव लाने का श्रेय इनके जज्बे, हौसले और जूनून को ही जाता है।
अपने वेबसाइट के फेसबुक पेज, ट्वीटर और इंस्टाग्राम को बड़े शानदार तरीके से हैंडल करते हैं।
इतना ही नहीं, प्रवीण लिखते भी हैं। अपने दिवंगत पिता के लिए अपनी भावनाएँ एक पन्ने पर उतारी हैं इन्होंने, जो आप भी पढ़ सकते हैं।
“काश मेरे भी पापा होते,
दुनिया ना देखी होती मुझे रोते।
पापा के साथ मेला घूमने जाता,
मां भाई और बहन के लिए मिठाईयां लेकर आता।
प्यार से खिलौने के लिए पापा से लड़ता,
मां को इतना कष्ट न करना पड़ता। काश मेरे भी पापा होते,
हम भूखे पेट कभी ना सोते।
हे भगवान तूने ऐसा मेरे साथ क्यों किया,
तूने तो पूरा कष्ट मेरे ही झोली में डाल दिया।
शाम को पापा जब घर आते थे,
हम भाई-बहन मिलकर उनका पैर दबाते थे।
काश मेरे भी पापा होते, काश मेरे भी पापा होते।
हम भूखे पेट कभी ना सोते।।”
बालक प्रवीण एक ओर जहाँ पिता की कमी को अपने दिल में जब्त रखते हैं, वहीं परिवार की ज़िम्मेदारियाँ भी पूरे लगन से उठाते हैं।
आज प्रवीण के जन्मदिन के अवसर पर ‘अपना बिहार’ की पूरी टीम इन्हें शुभकामनायें प्रेषित करती है। ये अपने सपने साकार करें, हमारे परिवार के अटूट अंग बने रहें और जीवन में हर तरह की खुशियाँ पाते रहें।