प्रिय काटजू चच्चा
ओह! देखिये न, ये मैं आपको क्या कह गयी, ‘प्रिय’ और ‘चच्चा’| यूँ तो आप पर दोनों ही जंच नहीं रहा है| जो जंच रहा है वो बस आपका नाम ही है, ‘काटजू’| आप सच में काट ही जाते हैं, कुछ कहते हैं तो|
खैर, बड़ी चर्चा हो रही है आपकी| कितने अच्छे हैं आप, कितने सुशील, कितने पढ़े-लिखे और कितने सभ्य| पता चला कि आप तो देश की सेवा भी कर चुके हैं| वाह! और सबसे मजेदार तो ये पता चला कि आप अपनी दो लाइन्स में ही कश्मीर समस्या का समाधान कर देने की क्षमता रखते हैं| मतलब गज़ब न चाचू| ऐसा तो सिर्फ आप ही कर ही सकते हैं| और किसी से उम्मीद ही नही| उम्मीद तो खैर आपसे भी बस यही कर पाने की रह गई है| आफ्टर ऑल सठिया जो गये हैं आप| ‘सठिया’ नहीं, यूँ तो आप ‘सत्तरिया’ गये हैं| मगर हो सकता है अपना जनरल नॉलेज बता-बता के समय-समय पर आप यही जताना चाहते हों कि आप बस ‘सठियाये’ हैं, ‘सत्तरियाये’ नहीं हैं|
आपके उम्र का लिहाज भी करना पड़ रहा है अब क्या कहें आपको| हमारा बिहार है न, हमारे संस्कार हमारा पीछा ही नहीं छोड़ते|
जानते हैं चच्चा! ई जो कश्मीर है न हमारा, वो भारत माँ की वो वाली आँखें है जो स्वर्ग के नज़ारे दिखाती है और ये जो बिहार है न, वो ‘ज्ञान’ की राह दिखता है|
और यहाँ आप किसी एसी वाले चैम्बर में बैठ के ट्विटिया रहे हैं कि ‘कश्मीर’ और ‘बिहार’ दोनों पकिस्तान को दे दो| कह तो आप ये भी सकते थे कि “इस कॉम्बो पैक के साथ काटजू मुफ्त में आएगा|” लेकिन आपका दिमाग वहाँ तक पहुँचिये नहीं पाया, अफ़सोस है हमें इस बात का| अरे हाँ ! हम तो बताना भूल ही गये आप क्या हो इस देश में| अभी न चच्चा इस देश को थोड़ा चिकेन पॉक्स सा हो गया है| तो आप जैसे कुछ लोग चिकेन पॉक्स वाले वही फोड़े हैं जिन्हें न सहते बनता है, न फोड़ते बनता है| आप फ्री में ही चले भी जाया करते हैं इस शरीर से उस शरीर तक… तो हो ही आईये पाक से| आपही का मुल्क है|
सुनने में आया कि आप ट्वीट-ट्वीट कर-कर के हमें बताना चाह रहे हैं कि बिहारियों का सेंस ऑफ़ ह्यूमर बड़ा ख़राब है| मतलब आपका जोक तक नहीं समझ पा रहे हमसब| बताइए भला| जिसकी पूरी जिन्दगी ही जोक हो, उसको भी नहीं समझ पा रहे हैं हमलोग| सीरियसली ले कर बैठ गये हैं| सच में हमलोग या तो पागल हैं, या फिर देशभक्त| हालांकि दोनों बात बराबर ही है, हमारी नज़र में| पागल ही तो हैं हम जो इस देश के भीतरी समस्याओं से जूझने के लिए आईएएस-आईपीएस और बाहरी समस्याओं से जूझने के लिए वीर सैनिक देते हैं| पागल ही तो हैं हम जो न सिर्फ बिहार, बल्कि जहाँ भी रहें वहाँ के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाते हैं| पागल ही तो हैं हमलोग जो आप जैसों के कुछ कहे को सह नहीं पाते|
आप जो ये हाई लेवल सेंस ऑफ़ ह्यूमर वाले पोस्ट्स डालते हैं, इसकी दो ही वजह हो सकती है, या तो आप सस्ती लोकप्रियता पाना चाहते हैं या फिर ये जाहिर करना चाहते हैं कि आपके पास जस्टिस बन सकने वाला ज्ञान है| ज्ञान का तो नहीं पता लेकिन आपके विरोध वाले पोस्ट्स जिस स्पीड में आप शेयर कर रहे हैं, पक्का यकीन है मुझे, सस्ती लोकप्रियता ही चाहिए आपको| और चच्चा आप तो इतने सस्ते तौर पर लोकप्रिय हुए हैं कि अब आपके प्रयासों की सराहना होने लगी है|
आपके सेंस ऑफ़ ह्यूमर में न ही सेंस नज़र आता है, न ही ह्यूमर| आप सिर्फ ‘ऑफ़’ हो जाने तक ही पहुँच पाते हैं| और कमाल की बात ये भी है कि मुझे आपकी बातों से ये भी स्पष्ट नज़र आता है कि क्यों भारत में ‘जस्टिस’ नहीं होता| यहाँ जब कोई व्यंगकार किसी पर व्यक्तिगत व्यंग कर दे तो उसे जेल की तरफ से आमंत्रण आ जाता है, और आप जैसे लोगों को वो आमंत्रण भी नहीं आता| इससे पता चलता है आपका अपना ही डिपार्टमेंट (न्यायालय) आपको कितनी गंभीरता से लेता है|
कोई आपका पोस्ट देख ले| आपके पोस्ट में वैसा कोई ह्यूमर नहीं मिलता, जिसके लिए आप प्रसिद्द हैं|(सुप्रसिद्द या कुप्रसिद्ध, इसपर अभी शोध करना बाकी है)| मतलब सुनने में आया कि आप व्यंगकार हो गये हैं| आपने शायद कार्यकाल के दौरान पार्ट टाइम में व्यंगकार वाला कोर्स भी किया था, आपने बताया नहीं किसी को न, इसलिए सब गंभीर हो जाते हैं आपकी बातों से|
वैसे कोर्स में शायद बताया नहीं गया आपको कि व्यंग करते हुए भी शब्दों का खास ख्याल रखना चाहिए| भावनाएँ आहत करने से कोई व्यंगकार नहीं बनता| देश तोड़ने की बातें करने से कोई व्यंगकार नहीं बनता| किसी की बेइज्जती करने से कोई व्यंगकार नहीं बनता| वर्ना कई बार आपके वाला हाल हो जाता है| अब क्या करूं, आपके लिए उदहारण भी मुझे आपका ही देना पड़ रहा है|
आपके हर पोस्ट पर कुछ भक्तगण चिल्ला रहे थे कि आपने वो जो कहा न, वो किसी और कॉन्टेक्स्ट में कहा| मतलब आप बस इतना ही जताना चाह रहे थे कि बिहार में भी पाकिस्तान के बराबर ही जंगलराज है| साहब सच कहूँ, आप फिर से गलत हो गये| हमारे यहाँ पकिस्तान के बराबर नहीं, बल्कि अधिक जंगलराज है| तभी तो आपके जैसे लोग कुछ भी भौंक के चले जाते हैं और हम उसके भी मज़े लेने लगते हैं| बड़ी ख़ुशी होती है जानकर कि लोगों को बिहार की कितनी परवाह है| मतलब यार इतनी परवाह तो वो लोग अपने घर की नहीं करते होंगे और न ही पता लगाने की कोशिश करते होंगे कि उनके फ्लैट के बाजू वाले फ्लैट में कौन रहता है| अब साहब आपका मंगलराज ऐसा है तो हमारा जंगलराज ही भला है न! यहाँ तो अब भी मोहल्ला सजता है| लोग मिलने के लिए शाम होने या मौसम में गर्मी बढ़ने का इन्तेजार नहीं करते, न ही इन्तेजार करते हैं कि कौन सी बात पर अब कैंडल मार्च निकली जाए| यहाँ बस यही चिंता है लोगों को कि कैसे आपके मंगलराज से अपना जंगलराज बचाया जाए| अब मैं जानती हूँ, आप इसे कुतर्क का नाम देंगे| तो कुतर्क को तोड़-मरोड़ के ही तो आप पोस्ट करते रहते हो, व्यंग का नाम देकर|
आपसे कोई उम्मीद नहीं है चच्चा| आप इतने बुजुर्ग आदमी हैं, हम आपको इज्जत देने के सिवा कर भी क्या सकते हैं| और इज्जत हम क्यों न दें, आप ठहरे ये निर्णय लेने वाले कि देश का कौन सा भाग किसी और देश को फ्री में दे देना चाहिए, और ये भी कि ब्राह्मण 60 के बाद कैसे हो जाते हैं| लोग आपका विरोध भले करते हों, मैं नहीं करती| वो ब्राह्मण वाली बात एकदम सटीक है| आपने अपने ही बारे में लिखी है, सटीक तो होगी ही|
आपसे कोई उम्मीद नहीं है चच्चा, और आप जैसे किसी से भी नहीं, आपके भक्तों से भी नहीं| सच में! जानते हैं, हमारे यहाँ एक कहावत है “बूढ़ सुग्गा पोस ना माने”| नहीं समझ आया होगा आपको, चलिए अंग्रेजी में बताते हैं “You Can’t Teach Old Dogs New Tricks”| बस अब आप अपनी प्रजाति वाला कार्यक्रम जारी रखिये| हमलोग भी हाथ बाँध के, हँसी के मूड में आपके वाल पर आया करेंगे| अच्छा, कम ही लोगों को मालूम होगा कि काटजू जी का पेज कई लोगों ने तो कॉमेडी पेज समझ के ज्वाइन किया हुआ है| और कई लोग तो यह भी कह रहे हैं कि बिहार और कश्मीर को पाकिस्तान को उधार देने की बात वो कर रहे हैं, जिनके मुंह पर मारने के लिए कोई अपने फटे-पुराने जूते तक उधार न दे|
जानती हूँ, ‘बिहार’ है न! अभी ‘बिहार’ की जगह ‘महाराष्ट्र’ की बात होती तो सारा देश शिव-सेना बना फिरता| लेकिन ये ‘बिहार’ है न, वही बिहार जिसकी ये देश चिंता करते हुए ये तो कह देता है कि, “बिहारियों तुमने अपने यहाँ जंगलराज ला कर अच्छा नहीं किया” लेकिन ये कभी नहीं मानता कि ये ‘बिहार’ भी इसी देश का अभिन्न अंग है| मैं इतिहास को दोहराने की बात कभी नहीं करती, आज भी नहीं करूँगी| लेकिन दुःख होता है देखकर कि आप ये नहीं देख रहे, बिहारी जहाँ भी हैं कैसे वो ‘बिहार’ और देश का भविष्य तैयार करने में अपनी पूरी मेहनत और उम्र झोंक रहे हैं| हम भूत में नहीं जाना चाहते| अशोक का राज कायम नहीं करना चाहते| हम अपना ‘आज’ लिखना चाहते हैं, भविष्य गढ़ना चाहते हैं|
छोड़िये चच्चा! क्या बातें करने बैठ गयी मैं भी| आप तो व्यंग वाले आदमी हैं| आपको तो वही भाषा समझ आती होगी| तो सुनिए न! ये सब आपमें किसी तरह के सुधार की उम्मीद से नहीं लिखा जा रहा चच्चा| एक व्यंग का ही टीवी शो आता है, कपिल का, उसमें कपिल न अपने परम मित्र को लगभग हर एपिसोड में कह देता है “तुम मर जाओ”| बस आज वही कहने का दिल हो रहा है| आप_________क्यों नहीं हो जाते| (नरकवासी या पाकिस्तानी में से एक शब्द जो आपका पसंदीदा हो, चुन लें)| उम्मीद करती हूँ आपके मोक्ष के लिए पितृ पूजन करने आपकी पीढ़ी ‘बिहार’ जरूर आयेगी| आपके अनुसार तो वैसे भी इसे ‘पाकिस्तान’ ने भी स्वीकारने से इंकार कर दिया है|
ओके चचा जां, उम्मीद करते हैं आप भी इसको व्यंग की तरह ही लेंगे| केस-वेस जो हम नहीं कर पाए, इस देश के क़ानून में गहरी आस्था होने के कारण, आप भी नहीं ही करेंगे| और सुनिए! आत्महत्या जैसा उच्च कदम भी ना उठाइयेगा| क्या करेंगे, आप हमारे चच्चा हैं, आपको हमलोग झेल ही रहे हैं| हम आपके बच्चा हैं, हमको भी आप झेल ही लीजिये|
जाते-जाते अपने प्रिय चच्चा के लिए कुछ सद्बुद्धि माँगती हूँ ईश्वर से! जय राम जी की चच्चा!
जय हिन्द!!