पयर्टन के लिए देश में अपना अहम स्थान रखने वाला राजगीर में एक ऐसा गुफा है जिसके बारे में इतिहासकारों का मानना है की यहां कई राजाओं का खजाना दफ़न है।
जरासंध राजाओं का खजाना लूटकर इसी पहाड़ी में रखा था। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह सोन का भंडार मौर्य शासक बिंबिसार का था। भगवान कृष्ण से जुड़ी एक जगह बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में भी है। कृष्ण के मामा के ससुर जरासंध ने खजाना छुपाने के लिए बनाई थी गुफा…
राजगीर में एक बड़े पहाड़ को काटकर अपने खजाने को छुपाने के लिए गुफा बनाई थी। जिस कारण इस गुफा का नाम पड़ा था सोन भंडार। इस गुफा के बारे में कहा जाता है कि सोने को रखने के लिए इस गुफा को बनवाया गया था। पूरी चट्टान को काटकर यहां पर दो बड़े कमरे बनवाए गए थे। गुफा के पहले कमरे में जहां सिपाहियों के रुकने की व्यवस्था थी। वहीं, दूसरे कमरे में खजाना छुपा था। दूसरे कमरे को पत्थर की एक बड़ी चट्टान से ढंका गया है। जिसे आजतक कोई नहीं खोल पाया।
अंग्रेजों ने किया था तोप से उड़ाने का प्रयास, हुए थे नाकाम
अंग्रेजों ने इस गुफा को तोप के गोले से उड़ाने की कोशिश की थी, लेकिन वे इसमें नाकामयाब रहे थे, आज भी इस गुफा पर उस गोले के निशान देखे जा सकते हैं। अंग्रेजों ने इस गुफा में छुपे खजाने को पाने के लिए यह कोशिश की थी, लेकिन वह जब नाकाम हुए तो वापस लौट गए।
अंदर जाते ही 10 मीटर लंबा चट्टान का कमरा मौजूद है यहां पर
सोन भंडार गुफा में अंदर प्रवेश करते ही 10.4 मीटर लंबा चौड़ा और 5.2 मीटर चौड़ा कमरा है। इस कमरे की ऊंचाई लगभग 1.5 मीटर है। यह कमरा खजाने की रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए बनाया गया था। इसी कमरे के दूसरी ओर खजाने का कमरा है। जो कि एक बड़ी चट्टान से ढंका हुआ है।
शंख लिपि में लिखा है खजाने का कमरा खोलने का रहस्य
मौर्य शासक के समय बनी इस गुफा की एक चट्टान पर शंख लिपि में कुछ लिखा है। इसके संबंध में यह मान्यता प्रचलित है कि इसी शंख लिपि में इस खजाने के कमरे को खोलने का राज लिखा है।
जैन धर्म के भी हैं अवशेष
इस जगह पर जैन धर्म के अवशेष भी देखने को मिलते हैं। यहां पर दूसरी ओर बनी गुफा में 6 जैन धर्म तीर्थंकरों की मूर्तियां भी चट्टान में उकेरी गई हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि यहां पर जैन धर्म के अनुयायी भी रहे थे।