देश भर के लाखों विद्यार्थियों के लिए बहुत ही ख़ुशी की खबर है. अब सूचना के अधिकार के तहत विद्यार्थी सीबीएसई बोर्ड, जेईई, नीट एवं नेट परीक्षा की जांची हुई उत्तर-पुस्तिका मात्र दस रूपये में पा सकेंगे.
ज्ञात हो कि पहले सीबीएसई किसी भी तरह के जांची हुई उत्तर-पुस्तिका सुचना के अधिकार अधियिनम 2005 के तहत उपलब्ध नही कराती थी इसकी जानकारी बिहार के कानून के विद्यार्थी कुमार शानू को मिली.
शानू ‘ विस्सल फॉर पब्लिक इंटरेस्ट- व्हिप’ के संस्थापक हैं. व्हिप देश भर के क़ानूनी छात्रों के सहयोग से समाज में मजूद अनेक परेशानियो को न्यायपालिका के माध्यम से हल करने के उद्देश्य के साथ कार्य करती है.
आरटीआई के माध्यम से व्हिप के सदस्यों को यह जानकारी मिली कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के वाबजूद सीबीएसई छात्रों को जांची हुई उत्तर पुस्तिका आरटीआई के अन्तर्गत नहीं मुहैया कराती है. उत्तर पुस्तिका पाने के इच्छुक छात्रों को शुल्क के रूप में एक हज़ार रुपए देने होते हैं. आप जान कर चौक जायेंगे कि जो आंसर कॉपी हमे आरटीआई के तहत 10 रुपये में मिल सकती है उसे पाने के लिए छात्रों को प्रति विषय 1,000 रुपये खर्च करने होते है. गरीबी रेखा से नीचे गुजारा करने वाले छात्रों को आरटीआई के अन्तर्गत उत्तर पुस्तिका निशुल्क मिल सकती है. शानू के अनुसार यह उच्चतम न्यायालय द्वारा 2011 में आदित्य बंदोपाध्याय मामले में दिए गए फैसले की अवमानना थी. उन्होंने इस सन्दर्भ में सीबीएसई के चेयरमैन से लिखित रूप में उच्चतम न्यायालय के फैसले को मानते हुए देश भर के छात्रों को उत्तर पुस्तिका आरटीआई के तहत मुहैया कराने का अनुरोध किया। इस पत्र के जबाब में सीबीएसई ने ऐसा करने में अपनी असमर्थता जताई। बेबस हो कर शानू एवम उनके मित्र पारस ने सीबीएसई को उच्चतम न्यायालय में घसीट दिया.
मूलतः बिहार के मोकामा के निवासी शानू के पिता किसान हैं. सामाजिक न्याय के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले शानू ने खुद ही इस मामले में सीबीएसई के खिलाफ खुद ही ड्राफ्टिंग एवं फाइलिंग की थी.
शानू की ओर से प्रख्यात अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने उच्चतम न्यायालय में बिना किसी शुल्क लिए बहस किया।
उच्चतम न्यायलय ने 16 अगस्त को शानू एवं उनके मित्र पारस द्वारा दायर की अवमानना याचिका का फैसला सुनाया.
उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के अनुसार सीबीएसई को देश भर में छात्रों को जाँची हुई उत्तर पुस्तिका सूचना का अधिकार(आरटीआई) के तहत मुहैया कराने का आदेश दिया है. अब छात्र मात्र 10 रुपए में अपने उत्तर पुस्तिका पा सकेंगे। लगभग पचास लाख छात्र सीबीएसई द्वारा आयोजित बोर्ड परीक्षा, जेईई, नेट एवम नीट में भाग लेते हैं.
शानू के अनुसार इस फैसले से छात्रों को सूचना के अधिकार के तहत जाँची हुई उत्तर पुस्तिका मिलेगी ही साथ में देश के अधिकांश युवा इसी वजह से आरटीआई का सही रूप से इस्तेमाल करना सीख जाएंगे। आरटीआई का ज्ञान युवायों को अन्य सरकारी विभागों में पारदर्शिता लाने के लिए प्रेरित करेगा।
आपन बिहार से चर्चा के दौरान शानू ने कहा कि –
” कानून का छात्र होने के नाते अपनी ऊर्जा एवम सीमित ज्ञान को सकारात्मक तरीके से समाज के उत्थान के लिए लगाना मेरी नैतिक जिम्मेदारी है. जब तक साँसे चलेंगी तब तक हक़ की लड़ाई लड़ता रहूँगा”