मोतिहारी: मोतिहारी शहर से 10 किलोमीटर दूर तुरकौलिया का मझार गांव. यहां की रहनेवाले जीतेंद्र सिंह के यहां चहल-पहल है. घर में मंडप लगा है. बेटी किरण, जो राज्य स्वास्थ्य समिति पटना में काम करती है, उसकी सात जुलाई को शादी है। किरण अपने शादी के दिन भी हाथों में मेहंदी की जगह वह अपने गाँव को हरा भरा बनाकर ससुराल जाना चाहती है.
हमारे यहाँ तो शादी के कुछ दिन पहले से महिलाओ को घर से निकलने की ज्यादा इजाजत नहीं होती है लेकिन किरण ने बिहार ही नहीं पुरे देश में एक मिशाल कायम करना चाहती है. आम दुल्हन अपनी साज-सज्जा, वेश-भूषा और भावी पति की कल्पना में खोयी रहती है. लेकिन ये इस दिन अपने गाँव और पर्यावरण की बेहतरी के लिए अपनी शादी के दिन यानि सात जुलाई को हाथ में फावड़ा-कुदाल लिए निकल पड़ेगी और गाँव के सड़क व नदी के किनारे खाली पड़े जगहों को पौधों व हरिहाली से पाट देगी.
पौधरोपण से लेकर शादी तक की सारी तैयारी पूरी हो चुकी हैं। मेंहदी की रस्म हो गई है। पौधे भी तैयार हैं। गड्ढे खोद दिए गए हैं। वन विभाग ने पौधे मुहैया कराए हैं। किरण बताती हैं कि पौधरोपण के माध्यम से वह अपनी शादी को यादगार बनाना चाहती हैं। इससे दूसरे लोग भी प्रेरित होंगे।
राष्ट्रपति से पा चुकी है सम्मान
किरण का बचपन से ही प्रकृति से लगाव रहा है. 2006 में उसने शीशम के सूखते पेड़ों को बचाया था. रेपाईपैक नाम के रोग की दवा की खोज की थी. उस समय 150 शीशम व 10 आम के पेड़ों को बचाया था. इसके लिए 2006 में ही तत्कालीन राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने सम्मानित किया था. इसके बाद 2007 में तत्कालीन राज्यपाल बूटा सिंह के हाथों भी किरण को सम्मान मिला था. 2011 में विज्ञान कांग्रेस में राष्ट्रीय अवार्ड मिला.