मंगल सूत्र गिरवी रख घर में बनवाया शौचालय, अब ग्रामीण ले रहे ये शपथ ….जानिए

बिहार के रोहतास जिले के विक्रमगंज की बारहखन्ना गांव की एक महिला फूलकुमारी ने घर में शौचालय बनवाने के लिए अपने गहने गिरवी रख मिसाल पेश की है। उसके इस काम का चारों तरफ तारीफ की जा रही है।

खुुले में शौच के विरोध में उसकी मुहिम रंग लाई है। अब ग्रामीण हर घर में शौचालय निर्माण की शपथ ले रहे हैं। इसके लिए प्रत्येक बुधवार को ‘बहन-बेटी सम्मान समारोह’ का आयोजन किया जा रहा है। इसमें लड़कियों के समक्ष पिता या भाई के हाथों शौचालय निर्माण की नींव रखी जाएगी।

बिहार के रोहतास जिले के विक्रमगंज की बारहखन्ना गांव की एक महिला फूलकुमारी ने घर में शौचालय बनवाने के लिए अपने गहने गिरवी रख मिसाल पेश की है। वह पैसे के अभाव के कारण घर में शौचालय नहीं बनवा पा रही थी। उसकी मदद को सरकारी अधिकारी भी आगे नहीं आए।

फूलकुमारी अपने निश्चय पर अडिग रही। उसने शौचालय बनवाने के लिए मंगलसूत्र, नथिया, पायल, बाली आदि गहने गिरवी रख नौ हजार रुपये के इंतजाम किये। वह कहती है कि शेष रकम वह मजदूरी कर इकट्ठा कर लेगी। उम्मीद है 15 अगस्त से पहले उसके घर में शौचालय बन जाएगा।

कहा, मजदूरी कर छुड़ा लेगी गहने

 

रंग लाई पहल, अब घर-घर में बनेगा शौचालय

फूलकुमारी की यह पहल रंग लाई है। विकास योजनाओं के रहते उसकी खुद की पहल से प्रशासन को भी तमाचा लगा है। इसकी चर्चा घर-घर में है। इस पहल से ग्रामीणों के साथ-साथ प्रशासन की भी आंखें खुल गई हैं। अब संझौली प्रखंड में हर घर शौचालय निर्माण को लेकर शपथ दिलाने की तैयारी की गई है।

बहन-बेटी सम्मान समारोह

संझौली प्रखंड को खुले में शौच से मुक्त घोषित करने के लिए प्रशासन ने इसे बहन-बेटियों के सम्मान से जोडऩे की रणनीति बनाई है। हर घर में शौचालय निर्माण की शपथ दिलाने के लिए प्रत्येक बुधवार को बहन-बेटी सम्मान समारोह का आयोजन किया जाएगा। इसमें लड़कियों के समक्ष पिता या भाई के हाथों शौचालय निर्माण की नींव रखी जाएगी।

परिवार के सभी सदस्य यह शपथ लेंगे कि वे अपनी बहन बेटी की शादी उस घर में कदापि नहीं करेंगे, जहां शौचालय न हो। इस वचन को निभाने के लिए बेटियां उन्हें प्रेरित करती रहेंगी। कोशिश यह है कि एक अगस्त से कोई भी व्यक्ति शौच करने घर से बाहर नहीं जाएगा।

कहा, मजदूरी कर छुड़ा लेगी गहने

फूलकुमारी कहती हैं, ‘पहले तो सास और पति ने जेवर गिरवी रखने से रोका, लेकिन बाद में वे राजी हो गए। घर में लाख गहने हों, पर शौचालय नहीं हो तो गहनों का कोई मूल्य नहीं। अपनी इज्जत का ध्यान रखते हुए शौचालय बनवाना जरूरी था। फूलकुमारी कहती है कि वह मजदूरी कर कुछ दिनों में वह जेवर तो छुड़ा लेगी, लेकिन गई प्रतिष्ठा तो वापस नहीं आएगी।

 

गौरतलब है कि अभी भी बिहार के गावों में सभी घर में शौचालय नहीं है। कुछ लोगों को तो पैसों की दिक्कत होती है मगर कुछ लोगों के पास पैसे होते हुए भी घर में शौचालय निर्माण करवाना जरुरी नहीं समझते।

 

सभार – दैनिक जागरण

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