भले ही बिहार से हर साल सबसे ज्यादा बच्चे प्रतियोगी परीक्षा में पास कर बिहार नाम रौशन करते हैं। बिहार में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, कमी है तो सिर्फ संसाधनों की। बिहार में अभी भी बहुत से लोग है जो अनपढ है। वे इस जमाने में भी शिक्षा के रौशनी से मैहरूम है और अज्ञानता के अंधकार में जी रहे हैं।
2011 की जनगणना के बाद वर्तमान में बिहार में पुरुषों की साक्षरता दर 63 प्रतिशत से बढ़ कर 69 प्रतिशत और महिलाओं की साक्षरता दर 52 प्रतिशत से बढ़ कर 58 प्रतिशत ही हो पाई है। मतलब अभी भी बिहार की बहुत बडी आबादी निरक्षर है।
बिहार सरकार साक्षरता दर में बढ़ोतरी के लिए प्लान तैयार कर रही है कि कैसे निरक्षरों को साक्षर बनाया जायेगा. 2030 तक बिहार पूर्ण साक्षर वाला राज्य बन जायेगा. गुरुवार को शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित जन शिक्षा निदेशालय की बैठक में यह निर्णय लिया गया. साथ ही टोला सेवकों व तालिमी मरकज की कैपिसिटी बिल्डिंग के लिए ट्रेनिंग कराने का भी निर्णय लिया गया. इसके अलावा जो पदाधिकारी इस काम में शिथिलता बरत रहे हैं उनकी लिस्ट तैयार करने को कहा गया है. उन्हें वहां से हटाया जायेगा.
2030 तक 100 फीसदी साक्षरता दर करने का लक्ष्य है.
शिक्षा मंत्री ने निर्देश दिया कि टोला सेवकों व तालिमी मरकज के लोगों की कैपिसिट बिल्डिंग के लिए ट्रेनिंग करायी जाये. इसके लिए जन शिक्षा निदेशालय प्रोग्राम तैयार कर एक प्रस्ताव लाये. इसे कैबिनेट से मंजूरी दिलायी जायेगी. साक्षर बनाने में अगर राशि की समस्या आ रही है तो सरकार से इस बारे में बातचीत की जायेगी और हल निकाला जायेगा. बैठक में प्रधान सचिव डीएस गंगवार, जन शिक्षा के निदेशक विनोदानंद झा, सहायक निदेशक मो. गालिब समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद थे.