बिहार में हुए शराब-बंद की खबर के बाद इसे बरकरार रखने अर्थात् नशे के आदि हो चुके लोगों के इलाज में नशा मुक्ति केन्द्रों का किरदार अहम् माना जा रहा था|
प्रभात खबर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, आरा के सदर अस्पताल में अब तक करीब 124 नशे के आदि मरीजों का इलाज हो चुका है| जिनमें से 11 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर के इलाज किया गया, तथा अन्य के नशे की आदत काउंसेलिंग करके छुड़ाई गई|
अस्पताल के प्रबंधक श्री पंकज कुमार सिंह जी का कहना है, “हमारे यहाँ मरीजों को तत्काल ट्रीटमेंट प्रदान किया जाता है और इसके लिए पहले मरीजों के साथ काउंसेलिंग की जाती है तथा शराब के अलावा अन्य नशे के आदि लोगों को यह बताया जाता है कि शराब या फिर कोई भी नशा कितना खराब है| हमारे चिकित्सकों कर्मचारियों के अलावे नर्सें नशा छुड़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं|”
गौरतलब हो कि यहाँ आखिरी मरीज, 25 वर्षीय निरंजन राम, की भर्ती 5 मई को की गयी थी, जिसका इलाज चिकित्सकों और कर्मियों की देख-रेख में पूरा हो चुका है| स्वस्थ होकर घर जाते समय मरीज ने अस्पताल का आभार भी व्यक्त किया और कहा कि “साहब रऊरा हमार जिंदगी बचा लेनी, हम इ एहसान कैसे चुकाइब”|
अखबार पुष्टि करता है कि आरा के सदर अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र में चार चिकित्सक कार्यरत हैं जिनकी देख-रेख में मरीजों का इलाज चलता है|
हालाँकि यह अस्पताल अब नये मरीजों के इंतजार में बंद पड़ा हुआ है| प्रबंधन का मानना है कि सारे लोग अब नशा छोड़ चुके हैं| यहाँ मरीजों का आना लगभग नगण्य है, अतः नशा मुक्ति केंद्र पर फ़िलहाल ताला जड़ा हुआ है|