श्रीहरिकोटा से बुधवार को उपग्रह प्रक्षेपण वाहन पीएसएलवी-सी 34 के जरिए जिन 20 उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित किया गया, उनके डिजाइन तैयार करने में बिहार के बेतिया के लालमणि की भी भूमिका रही। वे वर्तमान में तिरुवनंतपुरम के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में अंतरिक्ष विज्ञानी हैं। वे स्ट्रक्चरल विभाग की एनालिसिस विंग में कार्यरत हैं।
लालमणि शिक्षा घोटालों के दलदल में फंसे बिहार में पनपे व पले-बढ़े वह ‘मेधा’ हैं, जिन्होंने सूबे को सम्मान दिलाया है। वर्ष 2014 में मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं को तलाशने के लिए जिस मंगलयान को भेजा गया था उसका डिजायन तैयार करने में भी उनकी खास भूमिका रही।
वीणा देवी व अवध किशोर प्रसाद सिन्हा के पुत्र लालमणि मूलत: मुजफ्फरपुर जिले के वासी हैं। पिता रेलवे में वरीय पदाधिकारी थे। अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
लालमणि ने बेतिया के केआर स्कूल से वर्ष 1984 में 10वीं पास की। इसके बाद टीएनबी कॉलेज, भागलपुर से इंटर की पढ़ाई की। वर्ष 1992 में पटना इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री ली। वर्ष 2001 में आइआइटी कानपुर से एमटेक की पढ़ाई की। फिर विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में योगदान दिया। वे पंद्रह साल से इसरो की स्ट्रक्चरल विंग की गतिविधियों में सक्रिय हैं।
साभार- मनोज कुमार राव(पूर्वी चंपारण)