ईमानदारी का ईनाम: देखिए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री के परिवार का क्या हालत है..?

पूर्णिया: आज कल राजनीति को सबसे कमाऊ काम समझता है क्योंकि अगर कुछ अपवाद छोड़ दे तो सांसद और विधायक तो छोड़िये साधरण पंचायत का मुखिया बन जाने के बाद उसके संपत्ति में अचानक आश्चर्यजनक वृद्धी हो जाती है। 

मगर कुछ लोग (शायद उनकी संख्या बहुत कम हो) राजनीति में पद और प्रतिष्ठा मिलने के बाद भी अपने सिद्धांत और  जमीर का सौदा नहीं करते।

ऐसे ही एक नेता थे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री जी जो मिसाल पेश करते हुए पूर्णिया अथवा अपने गांव बैरगाछी में कोई संपत्ति जमा नहीं की और आम आदमी की तरह जिंदगी जी. यहां तक लाभ के पद से परिजनों को दूर रखा. उनका गांव घर और उनके परिजन आज भी सामान्य जिंदगी जी रहे हैं. मिलिए बिहार के इस दलित मुख्यमंत्री के परिवार से जिन्हें तीन बार मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला. जी हाँ, यह भोला पासवान शास्त्री का परिवार है जो पूर्णिया जिले के काझा कोठी के पास बैरगाछी गांव में रहता है.

भोला पासवान जी का परिवार

तस्वीर में इनकी हालत साफ नजर आती है और बिहार के दूसरे पूर्व मुख्यमंत्रियों से इनकी तुलना करेंगे तो जमीन आसमान का फर्क साफ नजर आएगा. हाल तक यह परिवार मनरेगा के लिए मजदूरी करता रहा है|

बैरगाछी वैसे तो समृद्ध गांव लगता है, मगर शास्त्री जी का घर गांव के पिछवाड़े में है. जैसा कि अमूमन दलित बस्तियां हुआ करती हैं. हाँ, अब गांव में उनका दरवाजा ढूँढने में परेशानी नहीं होती क्योंकि वहाँ एक सामुदायिक केंद्र बना हुआ है.

बिरंची पासवान जो शास्त्री जी के भतीजे हैं कहते हैं, यह सामुदायिक केंद्र तो हमारी ही जमीन पर बना है. अपने इस महान पुरखे की याद में स्मारक बनाने के लिए हमलोगों ने यह जमीन मुफ्त में सरकार को दे दी थी.

शास्त्री जी के कुनबे में अब 12 परिवार हो गये हैं जिनके पास कुल मिलाकर 6 डिसमिल जमीन थी. उसमें भी बड़ा हिस्सा इनलोगों ने सरकार को सामुदायिक केंद्र बनाने के लिए दे दिया है. अंदर एक-एक कोठली में दो-दो तीन-तीन परिवार जैसे-तैसे सिमट सिमट कर रह रहे हैं. विश्वास भी नहीं होता की पूर्व मुख्यमंत्री का परिवार इतनी परेशानी में जी रहा है।

Barkatulla Khan, Chief Minister of Rajasthan called on Shri Bhola Paswan Shastri, Minister of Work and Housing in New Delhi on June 12, 1973.

शास्त्री जी वैसे ही शास्त्री हुए थे जैसे लाल बहादुर शास्त्री थे. यानी भोला पासवान जो निलहे अंग्रेजों के हरकारे के पुत्र थे ने बीएचयू से शास्त्री की डिग्री हासिल की थी. शास्त्री 1968 ,1969 और 1971 में तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. वे 1972 में राज्यसभा सांसद मनोनीत हुए और केन्द्र सरकार में मंत्री भी बने. उनका निधन 4 सितंबर 1984 को हुआ था.

अफ़सोस इस बारे में सरकार और उसके नुमायिन्दों ने भी कुछ नहीं सोचा. यह उस बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री के परिवार का हालत है जहां पूर्व मुख्यमंत्रियों को तरह – तरह की सुविधायें दी जाती है।

उनके जयंति और पुण्यतिथि पर उनके फोटो पर सब माला चढाते है,  बडी-बडी बाते करते है और अपनी राजनीति चमकाते है मगर दलितों का नाम ले कर राजनीति चमकाने वाले लोग को इस इमानदार नेता के बेसहारा परिवार की कभी याद तक नहीं आई?

क्या उनके परिवार को अनके ईमानदारी की सजा मिल रही है?

AapnaBihar: