पटना: बिहार की भूमि बहुत ही महान है। यहां की मिट्टी ने न जाने दुनिया को कितने महान सपूत दिये है, लोगों को रास्ता दिखाया है और न जाने कितने को उसकी पहचान दिलाई है।
बिहार शांति और सद्भाव का प्रतिक है। यहां सभी धर्म के लोग रहते हैं और यह धरती सभी धर्म के लोगों के लिए बहुत ही खास है। यह जगत जननी माँ सीता का जन्मभूमि है तो भगवान बुद्ध का कर्म भूमि। यह पटना साहिब, और महावीर की भी भूमि है तो यहाँ पर मुहम्मद (पैगम्बर) का भी पवित्र स्थल है।
गंगा-जमुना तहजीब की मिशाल है बिहार का फुलवारीशरीफ़।
पटना के अनिसाबाद से आप जैसे ही आगे बढ़ते हैं. फुलवारीशरीफ़ विधानसभा का क्षेत्र शुरू हो जाता है. फुलवारीशरीफ़ का एक लंबा धार्मिक इतिहास रहा है. यहां गंगा जमुनी संस्कृति की ज़िन्दा तस्वीरें आपको हर समय देखने को मिल जाएंगी.
यह १३वीं शताब्दी में इस्लाम धर्म के प्रमुख स्थापित केन्द्र हैं जो हजरत मखदूम शाह द्वारा स्थापित खानकाह है। यहाँ पैगम्बर मुहम्मद की स्मृति में शरीफ रवि उल औवेल में मनाया जाता है। यहाँ पर मुहम्मद (पैगम्बर) का पवित्र स्थल है।
खनखाह मुजीबिया, शीश महल, शाही साँगी मस्जिद, इमरात शरीयत जैसे एतिहासिक धरोहरों से फुलवारीशरीफ भडा परा है। इसकी तीव्रता और भारत में सूफी संस्कृति का जन्म और विकास के साथ जुड़ा हुआ है। बिहार की ही तरह इसका एक लंबा धार्मिक इतिहास है।
कहा जाता है कि प्राचीन समय के सूफी संतों के धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक फुलवारी शरीफ एक ऐसा क्षेत्र था जहां सूफी संतों ने प्रेम और सहनशीलता का संदेश फैलाया था।।
संगी मस्जिद क्षेत्र की समृद्ध स्थापत्य अतीत के अवशेष भालू. मुगल सम्राट हुमायूं द्वारा लाल बलुआ पत्थर में निर्मित मस्जिद पर्यटकों के मुसलमानों के लिए मुख्य आकर्षण में से एक है। मस्जिद के पास एक (लाल शाह बाबा के मंदिर के मकबरे) है। यह लाल मियां की दरगाह के रूप में जाना जाता है।
आपको बता दे कि इमारत-ए-शरिया, खानकाह मुजीबिया और महाबीर मंदिर के चढ़ावे से गरीबी के लिए चलने वाला बिहार का प्रसिद्ध महावीर कैंसर हॉस्पीटल यही स्थित और हाल ही में बनाया गया बिहार का एम्स भी यहीं बनाया गया है.
यहां की धार्मिक और एतिहासिक धरोहरे पर्यटकों को बहुत लुभाती है। काफि संख्या में लोग यहां आते है। बिहार हर धर्म वालों के लिए खास है और दुनिया के लिए मिशाल है।