पटना: लोगों जब मुजफ्फरपुर से पटना आना होता था तो वे लोग गाँधी सेतु पर लगने वाले महाजाम के बारे में सोच के ही डर जाते थे। 2-3 घंटों का सफर 5-6 घंटों में तय होती थी। लोगों के पास कोई दुसरा विकल्प नहीं था।
केंद्र और राज्य सरकार के गैर जिम्मेदार रवैये के कारण सेतु का हाल दयनीय हो चुका है। गाँधी सेतु के सामांतर एक पुल बनाने के लिए प्रक्रिया तो चल रही है मगर इस में अभी समय लगेगा।
इसी बीच एक नई पहल की गई जिससे लोगों को जाम से कुछ मुक्ति मिलेगी।
24 मई, सोमवार को ट्रकों को गंगा पार कराने की वैकल्पिक रेल सेवा रॉल ऑफ-रॉल ऑन का ट्रायल रन हुआ। ट्रकों को लादने के लिए विशेष प्रकार के वैगन वाली यह ट्रेन बिहटा से दिन के 11.20 बजे खुली और 11.50 बजे दानापुर पहुंची।
कोईलवरसे सोन का बालू लेकर आए ट्रक बारी-बारी से ट्रेन पर चढ़ाए गए और सवा घंटे के अंदर ही यह पहुंच गया गंगा पार करा दिया गया।
25 मई को रेलमंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु नई दिल्ली स्थित रेल भवन से रिमोट द्वारा इस सेवा का शुभारंभ किये। कोंकण रेलवे में ट्रेन से माल लदे ट्रकों को एक से दूसरी जगह ले जाने की यह सेवा 16 वर्षों से सफलतापूर्वक चल रही है। कोंकण रेलवे के बाद पूर्व मध्य रेल में इस सेवा की शुरुआत हुई है।
फायदा क्या है?
ट्रकरेल मार्ग से काफी कम समय में गंतव्य तक पहुंच जाएंगे। महात्मा गांधी सेतु पर अक्सर लगने वाले जाम में कमी आएगी। एक ट्रेन पर अधिकतम 44 ट्रकों को लादा जाएगा।
ट्रकऑनर खुश
बिहटाइलाके के कई ट्रक ऑनरों ने भी इस सेवा के शुरुआत पर खुशी जाहिर की है। बताया कि बिहटा से मुजफ्फरपुर जाने में एक तरफ से कम से कम 3 हजार का डीजल जलता है। जाम अन्य परेशानियां अलग से। अब डीजल भी बचेगा और समय भी। टायर भी कम घिसेगा और इंजन भी बचा रहेगा।
इससे सेतु पर रोज लगने वाली जाम में कमी के कारण आम लोगों को भी फायदा होगा।